छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के एक हेड कांस्टेबल ने एके-47 से गोली चला कर आत्महत्या कर ली. पुलिस का दावा है कि बारसूर सातधार में जिस समय यह घटना हुई, जवान अपने बैरक में था.
पुलिस ने बताया कि सीआरपीएफ 195 बटालियन मुख्यालय बारसूर में पदस्थ सीआरपीएफ सी कंपनी के हेड कांस्टेबल विपिन्द्र चन्द्र सोमवार को अपने बैरक में थे.
पुलिस के अनुसार उन्होंने अपनी ही एके-47 से गले के पास गोली मार कर आत्महत्या कर ली.इस घटना के बाद मौके पर उपस्थित जवानों में अफरा-तफरी मच गई.
विपिन चंद्र को तत्काल ज़िला अस्पताल दंतेवाड़ा ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
दस सालों में 430 जवानों ने की आत्महत्या
वर्ष 2014 से 2023 के बीच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के लगभग 430 कर्मियों ने आत्महत्या की है.
2023 में सीआरपीएफ जवानों के बीच कुल 52 आत्महत्या के मामले सामने आए थे, जबकि 2022 में 43 मामले सामने आए.
पिछले 11 सालों में सबसे कम 29 मामले 2016 में दर्ज किए गए थे और सबसे ज्यादा 57 मामले 2021 में दर्ज किए गए.
पूर्व अर्धसैनिक बल कल्याण संघों के परिसंघ द्वारा संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2023 तक कुल 1,532 केंद्रीय
सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) जवानों ने आत्महत्या की है.
रिपोर्ट के अनुसार अर्धसैनिक बलों में मनोरोग रोगियों की संख्या 2020 में 3,584 से बढ़कर 2022 में 4,940 हो गई.
इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में छह सीएपीएफ के 46,960 कर्मियों ने अपनी नौकरी छोड़ दी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे से निपटने के लिए अक्टूबर 2021 में एक टास्क फोर्स का गठन किया था.
टास्क फोर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 प्रतिशत आत्महत्याएं तब होती हैं, जब कर्मचारी छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटते हैं.
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