जांजगीर – चांपा जिले में अमानक कीटनाशक की हो रही बिक्री

राजेन्द्र देवांगन
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जांजगीर – चांपा किसान इन दिनों खेती किसानी में व्यस्त हैं, वहीं दूसरी ओर बाजारों में कीटनाशक विक्रेताओं के द्वारा की जा रही अमानक कीटनाशक और खाद की बिक्री से किसान परेशान हैं। कीटनाशक दवाईयां बेचने वालों पर कार्रवाई नहीं होने का खामियाजा किसानों को अधिक कीमत में अमानक दवाईयां खरीद कर भुगतना पड़ रहा है। कभी कभार खाना पूर्ति करने के लिए कृषि विभाग के द्वारा छोटे मोटे व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है। जबकि थोक और बड़े व्यापारी जो इन छोटे व्यापारियों को दवा सप्लाई करते हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

किसानों को नकली या एक्सपायरी डेट की दवाओं की बिक्री
नकली कीटनाशक के साथ – साथ एक्सपायरी डेट दवाओं की बिक्री भी की जा रही है। इन नकली कीटनाशकों की पहचान भी भोले भाले ग्रामीण किसान नहीं कर पाते क्योंकि इनकी पैकेजिंग बिल्कुल असली कीटनाशक की तरह होती है। वहीं ज्यादातर किसानों के पढ़े लिखे नहीं होने के कारण उन्हें एक्सपायरी डेट की समझ नहीं होती है। ऐसे किसानों को नकली या एक्सपायरी डेट की दवा होने की समझ तब आती है, जब ऐसे कीटनाशकों के छिड़काव के बाद असर प्रभावहीन होता है। ऐसे में यहां के किसानों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तो उनकी गाढ़ी कमाई के पैसे बर्बाद हो रहे हैं वहीं फसलों का नुकसान भी हो रहा है।
छोटे मोटे व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति
विभागीय उदासीनता का खामियाजा किसानों को ऊंची कीमत में नकली दवाईयां खरीद कर भुगतना पड़ रहा है। कभी कभार विभाग के द्वारा छोटे मोटे व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर दी जाती है। जबकि थोक और बड़े व्यापारी जो इन छोटे व्यापारियों को दवा सप्लाई करते हैं उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। विभिन्न कीटनाशक दवा कंपनी द्वारा लगातार क्षेत्र में नकली कीटनाशक दवा बिक्री करने की शिकायत की जाती है जिसके बाद ही कभी कार्रवाई होती है। दो साल पहले जिले में नकली कीटनाशक दवा सप्लाई करने वाले एक कंपनी के करीब दर्जनभर अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ एफआइआर हुई थी और आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। किराना दुकानों में बिक रही
कीटनाशक दवाईयां
खाद व कीटनाशक दवाओं का दुकान खोलने के लिए व्यापारियों को कृषि विभाग से लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए ग्राम पंचायत व कृषि विभाग के अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती है। साथ ही बीएससी डिग्रीधाारियों को विभाग द्वारा लाइसेंस जारी किया जाता है, यहां बीएससी या समकक्ष डिग्री के अभाव में दुकान संचालक को डिग्रीधारी व्यक्ति के माध्यम से ही दवाईयों की बिक्री किए जाने का प्रविधान है, मगर जिले में संचालित अधिकांश दुकाने शासन के मापदंड के अनुरूप संचालित नहीं रही है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश किराना दुकानों में कीटनाशक दवाईयों की बेखौफ बिक्री जा रही है।
हर साल लिए जाते हैं सैंपल
कृषि विभाग हर साल निजी दुकानों और सोसायटियों में जाकर खाद, बीज और कीटनाशक दवाओं की जांच करता है। इस दौरान संदेह होने पर खाद, बीज और कीटनाशक दवा के नमूने लेकर जांच के लिए भेजता है। खरीफ और रबी सीजन दोनों में इस तरह के सैंपल लेकर जांच कराए जाते हैं लेकिन बडी बात यही है कि अमानक निकलने के बाद भी किसी दुकान संचालक और सोसायटियों के ऊपर बडी कार्रवाई नहीं होती। क्योंकि जांच में अमानक निकलने वाले खाद, बीज और कीटनाशक के निर्माता वे नहीं रहते। ऐसे में स्थानीय विक्रेता बच जाते हैं। बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती है।
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