बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने मंगलवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें रेलवे के द्वारा कोविड-19 के समय बेपटरी हुई रेल सेवाओं को पुनः सुचारू रूप से चलने का आग्रह किया गया था। जनहित याचिका की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के डीआरएम को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने के निर्देश दिए हैं।
2020 और 2021 में इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अलग-अलग तिथियों में आदेश जारी किया था। इसके बाद कई बंद पड़ी ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ किया गया था। इसके बाद भी आजतक ट्रेन परिचालन की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। मंगलवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने डिवीजन बेंच को यह बताया कि सभी मेल एक्सप्रेस ट्रेन 2021 से ही नियमित ट्रेन बनकर चलने लगी है परंतु लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेन जिन में अत्यधिक गरीब आदमी सफर करता है और छोटी दूरी के यात्री सफर करते हैं उन्हें अभी भी स्पेशल ट्रेन के नाम से चलाया जा रहा है । इसके कारण उनका मनमाना तरीके से रद किया जाना, अधिक किराया होना, समय का पाबंद न होना आदि समस्याएं लगातार यात्रियों को झेलनी पड़ रही है ।
डिप्टी सालिसिटर की जानकारी को याचिककर्ता ने ठहराया गलत
रेलवे की तरफ से उपस्थित डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि 21 फरवरी 2024 से रेलवे बोर्ड ने सभी पैसेंजर और लोकल और मेमू ट्रेनों को भी रेगुलर ट्रेन के रूप में चलने का आदेश दे दिया है और वह इस बिलासपुर जोन पर भी लागू है। इस पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने कहा कि उसने आज ही एक शपथ पत्र दाखिल कर यह बताया है कि अभी भी बिलासपुर जोन में पैसेंजर लोकल और मेमू ट्रेन स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाई जा रही है और इनका नंबर जीरो से शुरू होता है, जो रेलवे में इस बात को बताता है कि उक्त ट्रेन स्पेशल ट्रेन है।
स्पेशल ट्रेन के परिचालन में अफसरों की दखलंदाजी पूरी
याचिकाकर्ता अधिवक्ता श्रीवास्तव ने बताया कि स्पेशल ट्रेन होने के कारण उसका कोई भी समय और स्टापेज या उसका चलना पूरी तरह रेलवे अधिकारियों के हाथ में होता है। स्पेशल ट्रेन के परिचालन में अचानक बदलाव कर दिए जाते हैं।
इस कारण भी यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के डीआरएम को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्या अभी भी रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद पैसेंजर लोकल और बंबू ट्रेन स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाई जा रही है और अगर ऐसा है तो ऐसा क्यों किया जा रहा है। शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। जवाब दाखिल करने के लिए डीआरएम को एक सप्ताह का समय दिया गया है। अंतिम सुनवाई उसके बाद होगी।
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