CG के जंगल में कर रहे तपस्या, फुलजेन्स एक्का से कैसे बने बाबा नागनाथ”हैरान कर देने वाले रोचक तथ्य…!
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के जंगलों में रहने वाले बाबा नागनाथ ने जाति, धर्म से ऊपर उठकर आध्यात्म का रास्ता चुना. अब वो निर्वस्त्र होकर प्रकृति की पूजा के साथ जल, जंगल, जमीन के संरक्षण और संवर्धन में लगे हुए हैं. बाबा नागनाथ ने धर्मांतरण को राजनीति से प्रेरित बताया और तीखी प्रतिक्रिया भी दी है. बता दें कि बाबा नागनाथ पहले ईसाई समुदाय से थे, जिनका असल नाम फुलजेन्स एक्का था.
जैसे ही वे प्रकृति के करीब आए और आध्यात्मिकता को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया. उन्होंने अपने घर, परिवार, समाज, जाति, धर्म का परित्याग कर सत्य की तलाश में जशपुर के जंगलों में रहने लग गए. बाबा नागनाथ की विशेषता यह है कि उन्होंने चार साल तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उन्होंने रायपुर, अहमदाबाद जैसे प्रमुख महानगरों में अंग्रेजी की कक्षाएं चलाईं. आज भी बाबा नागनाथ फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं और 61 की उम्र में भी तेजी से पेड़ों पर चढ़ जाते हैं.
दरअसल, जशपुर जिले के जंगलों में रहने वाले बाबा नागनाथ का असली नाम फुलजेन्स एक्का है, जो जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के जामपानी के जंगलों में निर्वस्त्र होकर गुफा में निवास करते हैं. बाबा नागनाथ इन दिनों खासे लोकप्रिय हो रहे हैं. बाबा नागनाथ पिछले 5 वर्षों से लगातार साधना कर रहे हैं और निर्वस्त्र होकर जंगल के बीच एक गुफा में रहते हैं. वे अपनी साधना से सृजित ऊर्जा का उपयोग वनों के संरक्षण के लिए करते हैं. उन्होंने अकेले श्रमदान से करीब एक किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली है.
इसके साथ ही जल संरक्षण के साथ उन्होंने पिछले चार साल से जंगल में आग नहीं लगने दी, जिसके कारण आज जामपानी का जंगल हरा-भरा और घना है. 61 वर्ष की आयु में बाबा नागनाथ फुर्ती के साथ पलक झपकते ही पेड़ों में चढ़कर उतर जाते हैं. बाबा नागनाथ अपनी ओजस्वी ऊर्जा से लोगों को हैरत में डाल देते हैं.
बाबा नागनाथ ने रायपुर में 4 साल तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए इंग्लिश का कोचिंग इंस्टीट्यूट भी चलाया. फिर वे अहमदाबाद चले गए, जहां उन्होंने कुछ वर्षों के लिए बिजनेस करना शुरू किया और फिर अंग्रेजी की कक्षाएं लेने लगे. इस बीच उनकी मुलाकात एक नाथ संप्रदाय के गुरु से हुई, जिसके बाद उनका जीवन आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हो गया.
5 साल पहले जब वे अहमदाबाद से अपने घर आए तो उन्होंने प्रकृति के बीच असीम शांति और ऊर्जा को महसूस किया. इसके बाद वह फुलजेन्स एक्का से बाबा नागनाथ बन गए और निर्वस्त्र होकर जंगल की गुफा को अपना आशियाना बना लिया और जल, जंगल, जमीन के संरक्षण और संवर्धन में लग गए.
बाबा नागनाथ ने बताया कि आज जब इंसान शुद्ध हवा के लिए तरस रहा है, ऐसे में प्रकृति का संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है. लोगों को महानगरों में शुद्ध हवा नहीं मिलती, जबकि जशपुर में घना जंगल है, शुद्ध हवा है, पानी है, इसे बचाना और बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है.
बता दें कि जाति, धर्म से ऊपर उठकर अध्यात्म के मार्ग में बाबा नागनाथ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ईसाई समुदाय में जन्म लेने वाले फुलजेन्स एक्का जब बाबा नागनाथ बन गए, तो उन्हें धर्म, जाति, समाज के लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा. इसके बावजूद वे सनातन सत्य की ओर अग्रसर रहे और अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ बने रहे.
बाबा नागनाथ लोगों को सिखाते हैं कि उनके जीवन का उद्देश्य दुखों से मुक्ति की ओर है, जिसे आध्यात्म में मोक्ष कहा जाता है. इस यात्रा में प्रकृति से सृजित ऊर्जा का उपयोग वे प्रकृति, जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के लिए करते हैं. देश में धर्मांतरण को लेकर जहां बड़ी बहस छिड़ी हुई है. ऐसे में बाबा नागनाथ ने धर्मांतरण को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया भी दी है. उन्होंने धर्मांतरण को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि धर्मांतरण करने वाले और विरोध करने वाले दोनों की गलती है.
बाबा नागनाथ ने कहा कि धर्मांतरण से किसी के जीवन में कोई बदलाव नहीं आता. बहरहाल बाबा नागनाथ ने देश मे जाति, धर्म के नाम पर हो रहे कुत्सित राजनीति को आईना दिखाने का काम किया. उन्होंने धर्म, जाति, मजहब से ऊपर उठकर प्रकृति की उपासना के साथ मुक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए जल, जंगल, जमीन के संरक्षण का बेहतर संदेश दे रहे हैं.
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