
गंदा है पर धंधा है ये…अन्नारेड्डी को एक करोड़ का चढ़ावा…!
जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा के सट्टा बाजार मे खबर गर्म है कि यहां करोड़ों का सट्टा खेला जा रहा है । मेरे द्वारा लिखे लेख क्या अकलतरा भी सट्टे की राह पर है,पर मेरे एक पाठक ने मुझे हंसते हुए फोन किया और बताया कि आप लाखों की बात कर रही है यहां एक ही व्यक्ति द्वारा एक हफ्ते में करोड़ों का सट्टा लगाया गया है । मैंने भी हंसते हुए कहा मैंने लाखों का सट्टा युवाओं के लिए लिखा था बड़े व्यापारियों के लिए नहीं । आज सट्टा में के खेल में कई घर बर्बाद हो रहे हैं । आश्चर्य नहीं होगा जब कोई रायगढ़ के व्यापारी की तरह आत्महत्या भी करें । इस खेल में खेलने वाले भले ही बर्बाद हो लेकिन खाईवाल जिसे आधुनिक भाषा में बुकी कहा जाता है वह आबाद हो रहा है और इतना कि जितने रूपए सट्टा में गंवाये जाने की बात अकलतरा में चटखारे लेकर कहीं जा रही है उतने रुपयों से उसने अपने ब्लैंक मनी को व्हाइट मनी में बदलने राइस मिल खोल लिया है । बताया जा रहा है कि अकलतरा का यह वर्तमान धन्ना सेठ कभी छोटा-मोटा व्यापारी हुआ करता था । धनकुबेरों की नगरी अकलतरा में खुद उन धनकुबेरो में शामिल होने की इच्छा ने सट्टे का रास्ता दिखाया जहां से कम समय में धन्ना सेठ बना जा सकता था । एक अच्छे व्यापारी की कला उसमे थी । बात और चाल चलने की निपुणता ने उसे बहुत जल्दी ही इस सट्टा बाजार में सफलता दी वह कुछ समय में ही अकलतरा नगर का सट्टा किंग कहलाने लगा । गंदा है पर धंधा है कहना आसान होता है पर शायद दूसरों को बर्बाद करने का अपराधबोध उसे भी हो या न भी हो पर इस राइस मिल का धंधा निस्संदेह ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने बेहतर उपाय है । दूसरी ओर अकलतरा के करोड़पति इस व्यापारी में न जाने कैसे सट्टा लगाने की इच्छा ने जोर मारा और सट्टे में एक करोड़ गंवा दिए । सट्टे के बाउंसर घर पहुंचे घरवालों ने ” जिंदगी रही तो फिर कमा लोगे ” कहकर समझाया और उस नवधनाढय व्यापारी ने भी तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा कहकर अन्नारेड्डी नाम के कुबेरनाथ को एक करोड़ चढ़ा दिए । ऐसे कई सट्टा रुपी शमा के परवाने है जो जानते हैं इससे आशिकी घर , परिवार , प्रतिष्ठा और धन सब नाश कर देगी लेकिन सट्टे का नशा बुद्धि हर लेता है और न चाहते हुए भी इस नशे में व्यक्ति बर्बाद हो जाता है । न जाने कितने लोग इसमें बर्बाद हो गये और कितने लोग बर्बाद होंगे । पुतला दहन , विरोध प्रदर्शन को रोकने और वी आई पी ड्युटी में लगी पुलिस से इसे रोक पाने में पूरी तरह सक्षम नहीं है साथ ही इन सफेदपोश अपराधियों की दोस्ती राजनीति के ऊंचे-नीचे टेढ़े-मेढ़े गलियारों से शिखर तक होती है इसलिए जब तक जनता और शायद अभिभावकों का दृढ़ संकल्प , सहयोग और पुलिस का ईमानदार प्रयास जब तक नहीं होगा यह बंद नहीं किया जा सकता है । अगर इस ऐतिहासिक नगरी और धार्मिक नगरी को बचाना है तो हमें खुद को और अपने युवाओं को हमें इस लत से दूर करना होगा अन्यथा यह अन्नारेड्डी नाम का शैतान हमें और हमारे परिवार को बर्बाद कर देगा