कांकेर में बेटियों ने बरसों पुरानी परंपरा को तोड़कर अपना फर्ज अदा किया
कांकेर : भारतीय परंपरा के मुताबिक बेटे ही माता-पिता को मुखाग्नि देते रहे हैं, लेकिन अब यह परंपरा टूट चुकी है. यह सवाल भी पीछे छूट चुका है कि बेटे के बिना माता-पिता को मुखाग्नि कौन देगा, लेकिन अब यह बातें बीते जमाने की हो गई. कांकेर जिले के दुधावा क्षेत्र अंतर्गत मावलीपारा में चार बेटियों ने मां को कांधा देकर विदा किया.
कहां टूटी रूढ़िवादी परंपरा : मृतिका पद्ममा साहू का कोई भी पुत्र नहीं है, सिर्फ चार बेटियां है चारों विवाहित है,इनके पिता का पहले ही देहांत हो चुका है. मां के अंतिम यात्रा हिंदू धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार बेटियां डिगेश्वरी साहू, सहा बाई साहू,रेखा साहू,मालती साहू ने मां की अर्थी को कंधा दिया और अंतिम शव यात्रा निकाल मां की अंतिम विदाई दी.
बेटियों ने निभाई जिम्मेदारी : मावलीपारा के इन बेटियों की आज जिम्मेदारी निभाने की बारी थी. परंपराओं को तोड़कर एक नई परंपरा बनाने की. बेटियों ने भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. मां की मृत देह को सजा धजाकर अंतिम यात्रा के लिए तैयार किया. मां को कंधे पर उठाकर सद्गति देकर मुखाग्नि दी. यह देखकर मौजूद लोगों की आंखें भर आई. बेटियों ने मां को पूरे रस्मों रिवाज के साथ अंतिम विदाई दी.