बेशकीमती लकड़ी की तस्करी करते वन विभाग का डिप्टी रेंजर का ट्रेक्टर पकड़ाया ,,, विभाग जुटा लीपापोती में
जगदलपुर । विगत दिनों कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से बेशकीमती लकड़ी के अवैध परिवहन का मामला प्रकाश में आया था ,इस मामले जिन ट्रेक्टरो को जप्त किया गया है, उनमें से एक ट्रेक्टर डिप्टी रेंजर का बताया जा रहा है ।
सूत्रों के अनुसार उक्त डिप्टी रेंजर ने अपने सहयोगियों एवं उच्चाधिकारियों के सहयोग से हफ्ते में 3 से अधिक बार लकड़ी से लदा ट्रैक्टर विन विभाग के नेतानार चेकपोस्ट से पार करवाया गया।
वन कर्मचारियों के हड़ताल में होने का फायदा उठाकर वो डिप्टी रेंजर और उसके सहयोगी इस अवैध परिवहन को निर्बाध रूप से अंजाम दे रहे थे ,मामला तब प्रकाश में आया जब नवपदस्थ निदेशक कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जगदलपुर ने ,नेतनार चेकपोस्ट पर कीमती लकड़ियों से भरे ट्रैक्टरों को रंगे हाथ पकड़ लिया।
हालांकि इस खबर को वनविभाग ने मीडिया में जाने से से रोकने का भरसक प्रयास किया और मामले में अबतक कोई विशेष कार्रवाई नहीं की जा रही है, आज जब बस्तर राष्ट्रीय न्यूज के संवाददाता ने वनविभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की तो उन्होंने अवैध परिवहन में लकड़ी और ट्रैक्टर की जप्त किए जाने की बात तो स्वीकार की ,परंतु मामले में आरोपी डिप्टी रेंजर और उसके सहयोगियों पर की जा रही किसी भी कार्रवाई के संबंध में अनभिज्ञता जताई ।
उन्होंने बताया कि अब तक मामले के दस्तावेज उनके सम्मुख प्रस्तुत नहीं किए गए हैं ,और दस्तावेज उनके समक्ष आते ही ट्रैक्टर को राजसात करने की कार्रवाई की जाएगी ।
परंतु वनविभाग के अधिकारी आरोपी डिप्टी रेंजर जो कि उस जप्त ट्रैक्टर का स्वामी भी है और चेक पोस्ट पर तैनात वनविभाग के वो कर्मचारी जो अवैध परिवहन के दौरान ड्यूटी पर थे उन पर कोई विभागीय जांच अथवा अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात पर बगलें झांकने लग जाते हैं ।
कोलेंग वन परिक्षेत्र में चल रहा है तस्करी का बड़ा खेल
कोलेंग वन परिक्षेत्र में बेशकीमती लकड़ियों का अवैध परिवहन धडल्ले से चल चल रहा है , और इसमें वनविभाग जिस पर वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है उसके ही अधिकारी और कर्मचारी की मिली भगत है ,10 और 13 अप्रैल की घटना तो एक बानगी भर है । न जाने कब से ये तस्करी का खेल आरोपी डिप्टी रेंजर खेल रहा है ।?
चूंकि कोलेंग वन परिक्षेत्र नक्सली प्रभावित होने की वजह से संवेदनशील है इसलिए इस क्षेत्र में होने वाली अंधाधुंध कटाई और साल ,सागौन जैसी बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी को वन विभाग आसानी से छुपा लेने में सफल हो जाता है ।
घटना के 5 दिन बात भी आरोपी डिप्टी रेंजर की न तो गिरफ्तारी ,न ही विभागीय जांच का आदेश ?!
लकड़ियों की तस्करी करने के आरोप में डिप्टी रेंजर की ट्रैक्टर और लकड़ियों को तो वनविभाग ने जप्त कर लिया है पर इस मामले में अभी तक किसी को न तो आरोपी बनाया है न ही गिरफ्तार किया है ,हैरानी की बात ये है की नेतानार के चेक पोस्ट पर ट्रेक्टर को चौथी बार अवैध परिवहन करते वक्त पकड़ा गया ,और ट्रैक्टर का चालक उक्त स्थल से आसानी से भागने में कामयाब हो गया ये बात हास्यास्पद और वनविभाग की मामले में लीपापोती को दर्शाता है ।
मामले के पांच दिन के बाद भी अभी तक उक्त डिप्टी रेंजर और उसके सहयोगियों को इस मामले के संदर्भ में एक नोटिस तक नहीं भेजा है। क्या वनविभाग जंगल की सुरक्षा के बजाय जंगल काट कर लकड़ी तस्करी करने वाले अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को तवज्जो दे रहा है ??!