Guru Nanak Jayanti,, गुरु नानक जयंती,,,, जानिए उनके जीवन संदेश,,,जो दिखाते हैं जीवन जीने की सही राह

राजेन्द्र देवांगन
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गुरु नानक जयंती,,, जानिए उनके जीवन संदेश,,,जो दिखाते हैं जीवन जीने की सही रा

गुरु नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरु हैं। उनके जन्मदिवस को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। नानक जी का जन्म1469 मैं कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (जो कि वर्तमान में पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ। इनके पिता का नाम मेहता कल्याण दास और माता का नाम तृप्ता देवी था।तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक देव के नाम पर ननकाना साहिब पड़ गया। इनकी बहन का नाम नानकी था। बचपन में इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे।। लड़कपन से ही यह संसार इक विषयों से उदासीन रहा करते थे।7-8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत प्राप्ति के संबंध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा हुए इन्हें साथ सम्मान घर छोड़ने आ गए। तत्पश्चात सारा समय व आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गांव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाला पुरुष मानने लगे।16 वर्ष की उम्र में माता सुलखनी जी के साथ इनका विवाह हुआ जिन से इन्हें श्रीचंद और लक्ष्मीदास के रूप में 2 पुत्र रत्न प्राप्त हुए। यह चारों ओर घूमकर उपदेश करने लगे।1521 तक इन्होंने चार यात्रा चक्र पूरे किए जिनमें भारत, अफगानिस्तान ,पारस और अरब के प्रमुख स्थानों का भ्रमण किया।इन यात्राओं को पंजाबी में उदासियां कहा जाता है।

नानक सर्वेश्वर वादी थे ।उन्होंनेसनातन मत की मूर्ति पूजा की शैली के विपरीत एक परमात्मा की उपासना का एक अलग मार्ग मानवता को दिया। उन्होंने हिंदू पंथ के सुधार के लिए कार्य किए। साथ ही उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक धार्मिक और सामाजिक स्थितियों पर भी दृष्टि डाली है। संत साहित्य की मैं नानक उन संतों की श्रेणी में है जिन्होंने नारी को बड़प्पन दिया है।
हिंदी साहित्य में गुरु नानक भक्ति काल के अंतर्गत आते हैं।वह भक्ति काल में निर्गुण धारा की ज्ञानाश्रई शाखा से संबंध रखते हैं। भक्ति भाव से पूर्ण होकर वे जो भजन काया करते थे, उनका संग्रह ग्रंथ साहिब में किया गया है। गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित974 शब्द जो कि 19 राज्यों में 19 रागों में गुरबाणी में शामिल है। उनकी प्रमुख रचनाएं जपजी साहिब, सिद्ध गोष्ट, सोहिला साहिब, दखनी ओंकार, आशा दी वार, पट्टी,बारहमाह इत्यादि हैं।
गुरु नानक देव जी की तीन बड़ी शिक्षा खुशहाली से जीने का मंत्र देती है।
यह शिक्षाएं हैं-नाम जपो, कीरत करो, और वंड छको।
यस सीखे कर्म से जुड़ी हुई है। कर्म में श्रेष्ठता लाने की ओर ले जाती है। यानी मन को मजबूत कर्म को ईमानदार और कर्म फल के सही इस्तेमाल की सीख देती है।
यह एकाग्रता परोपकार की ओर ले जाती है।

गुरु नानक देव जी के मानवता को दिए गए 10 अनमोल संदेश:-
1) ईश्वर एक है ।और हर जगह मौजूद है ।सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो ।ईश्वर सब में व्यापक है। सबका पिता वही है ।इसलिए सभी से प्रेम करना चाहिए।
2) मेहनत कर, लोभ का त्याग कर और न्याय उचित साधनों से धन कमाना चाहिए।मेहनत और सच्चाई से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
3) कभी भी किसी का हक नहीं छीन ना चाहिए।
4)अगर किसी को धन या कोई अन्य मदद की आवश्यकता हो तो हमें कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।
5) अपनी कमाई का दसवां हिस्सा परोपकार के लिए और अपने समय का दसवां हिस्सा प्रभु सिमरन या ईश्वर भक्ति में लगाना चाहिए।
6) धान को जेब में स्थान देना चाहिए, दिल में नहीं।
7) स्त्री जाति का आदर करना चाहिए। सभी स्त्री और पुरुष बराबर है।
8) गुरु की आवाज भगवान की आवाज है। वही ज्ञान और निर्माण का सच्चा स्रोत है।
9) चिंता मुक्त होकर अपने कर्म करते रहना चाहिए।संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है।
10) अहंकार, ईर्ष्या ,लालच, लोभ, मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देते। ऐसे में इनसे दूर रहना चाहिए।

श्री गुरु नानक देव जी को 10 से ज्यादा देशों में 14 नामों से पुकारा जाता है। पाकिस्तानी उन्हें नानक शाह कहते हैं तो भारत में वे गुरु नानक देव जी हैं। तिब्बत में या नानक लामा से पुकारे गए तो रूस में नानक कम दार के तौर पर विख्यात हुए। इसलिए इन्हें जगतगुरु भी कहा जाता है।

इन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया जो कि अब पाकिस्तान में है। जीवन के अंतिम दिनों में गुरु नानक देव जी यहीं आकर रहने लगे तथा मानवता की सेवा प्रभु भक्ति का संदेश देने लगे।
इसी स्थान पर 22 सितंबर1539ईवी को उन्होंने अंतिम सांस ली और उनकी जोत परमात्मा में लीन हो गई।
आज के इस माहौल में गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं मानव को जीवन की सही तरीके से जीवने की शिक्षाएं देती है।
उनकी शिक्षाओं पर चल कर हम अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा सकते हैं। आज जरूरत है उनकी शिक्षाओं पर अमल करते हुए मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ते हुए उच्च स्तरीय जीवन जीना चाहिए।।

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