केयर एन क्योर हॉस्पिटल में अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही….
निलेश मसीह,बिलासपुर -प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर में जहा एक तरफ कोरोना का तांडव ज़ारी है.. वहीं, दूसरी ओर निजी अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं.. जमीन का भगवान कहे जाने वाले निजी अस्पताल के डॉ. चंदपैसों के लालच में मौत के आग़ोश में धकेलने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं.. ताज़ा मामला बिलासपुर के प्रताप चौक में स्थित निजी अस्पताल केयर एंड क्योर में आया है जहाँ ,अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही से 8 लोगो की मौत हो गई है.. जीवन भर की गाढ़ी कमाई कर अपनों को बचाने की आस में अपनों की मौत की खूबर सुनते ही परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया.. परिजनों का आरोप है कि पैसे खत्म हो जाने के बाद दूसरे अस्पतालों में इलाज़ करने के लिए जब हम मरीजों को लेने पहुंचे तो थोड़ी देर में डिस्चार्ज करने का नाम लेकर अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को मृत घोषित कर दिया.. निजी अस्पताल में हो रही लापरवाही को लेकर रोज वीडियो वाइरल हो रहे है तमाम मीडिया इन खबरों के माध्यम से अस्पतालों की नाकामी बता रहे हैं.. परिजन चीख- चीख पर हॉस्पिटल की अव्यवस्था को कोस रहे हैं.. सारे ज़िम्मेदार अफ़सर और जनप्रतिनिधि सोशल मीडिया से जुड़े हैं, वे भी देख रहे पर जांच के नाम पर 3000 रुपए लेने पर एक सेंटर को सील करने वाला स्वास्थ्य महकमा जाग रहा न नोडल अफसर नियुक्त करने वाला जिला प्रशासन.. लगता है कि किसी बड़ी अनहोनी के बाद ही जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद से जागेगा.. 8 लोगों की जान जाने के बाद परिजनों के हंगामे के दौरान जब मीडिया कर्मी मौके पर पहुंचे तो उन्हें भी अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था अपनी नाकामी छुपाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने गेट में बकायदा गेटकीपर को समझाइश देकर रखी थी ताकि अस्पताल की करतूत बाहर ना जा सके और मौत का खेल अस्पताल द्वारा यूं ही खेला जा सके.. आपको बता दे की केयर N क्योर अस्पताल में पैसों के नाम पर लूट मची हुई है…यहां पर किसी एक मरीज ने नही बल्कि कई मरीजो ने गंभीर आरोप लगाया है…जिन्होंने डॉक्टरो पर आरोप लगाकर कहा है कि इलाज के नाम पर लुटा जा रहा है और मरीज को देखने तक नही दिया जा रहा है,इधर हंगामा की खबर पाकर पुलिस बल सहित मौके पर पहुँची माहौल को शांत कराया,इस बीच डॉक्टर ने नेताओ से संपर्क करके मामले को रफ दफा कर सेटिंग करने की कोशिश की और परिजनों को भी शांत कराया….बता दे कि डॉक्टर इतने गंभीर आरोप लगने के बाद भी प्रशासन नींद से नही जाग रहा है जो समझ से परे है। जबकि प्रशासन को ऐसे मामले में तुरन्त संज्ञान लेना चाहिएसाथ ही ऐसे डॉक्टरों पर कार्यवाही करना चाहिए ताकि किसी के साथ अन्याय न हो सके….साथ ही डॉक्टरो का लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए।ताकि मरीजो के दर्द को समझे और फिर कभी किसी के भावनाओ के साथ खिलवाड़ न कर सके। फ़िलहाल देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आख़िर क्या होता है या फिर सब कुछ दबा हुआ रह जायेगा।