बिलासपुर। कोनी स्थित कुमार साहब स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जुडेव जी शासकीय सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का शुभारंभ भले ही एक साल पहले बड़े दावे और वादों के साथ हुआ था, लेकिन अब भी अस्पताल केवल नाम का “सुपर स्पेशलिटी” बनकर रह गया है। मरीजों को राहत के बजाय परेशानी, अव्यवस्था और लापरवाही का सामना करना पड़ रहा है।
करीब 200 करोड़ रुपये की लागत से बने इस अस्पताल में आज भी न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं, न नर्सिंग स्टाफ, और न ही आवश्यक पैरामेडिकल टीम। दवाओं की कमी, समय पर जांच न होना और इलाज में देरी आम बात हो चुकी है।
स्थायी स्टाफ की नियुक्ति अब तक नही
अस्पताल में अभी तक स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। सारा काम अस्थायी और कलेक्टर दर पर रखे गए कर्मचारियों से कराया जा रहा है। कई बार इन्हें बिना कारण या नोटिस के हटा दिया जाता है। इससे अस्पताल का संचालन लगातार प्रभावित हो रहा है।
डॉ. बी.पी. सिंह पर उठ रहे गंभीर सवाल
अस्पताल के डायरेक्टर और अध्यक्ष डॉ. बी.पी. सिंह पर स्टाफ और स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए हैं कि वे सिम्स और कोनी सुपर स्पेशलिटी — दोनों संस्थानों को ठीक से संभाल नहीं पा रहे हैं। प्रबंधन की कमजोरियों और लगातार बढ़ती अव्यवस्था के कारण अस्पताल की छवि बिगड़ रही है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि डॉ. सिंह को छत्तीसगढ़ शासन ने 18 अक्टूबर 2021 को जगदलपुर ट्रांसफर कर दिया था, लेकिन वे अब तक हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के सहारे सिम्स में पदस्थ हैं। सिम्स के डीन डॉ. के.के. सहारे ने शासन के आदेश के पालन में उन्हें कार्यमुक्त भी किया, बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री से सवाल — आखिर जिम्मेदार कौन?
एक साल बाद भी अस्पताल का संचालन अधूरा क्यों है? मरीजों को उचित उपचार क्यों नहीं मिल रहा?
क्या स्वास्थ्य विभाग और मंत्री इन सवालों का जवाब देंगे कि करोड़ों की लागत से बना अस्पताल सिर्फ इमारत बनकर रह गया है?
अगर अस्पताल के संचालन में लगातार अनियमितता और स्टाफ की कमी बनी रही, तो स्वास्थ्य मंत्री को स्वयं हस्तक्षेप कर जांच और आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए — ताकि अस्पताल वास्तव में “सुपर स्पेशलिटी” कहलाने के योग्य बन सके, और जनता को सही इलाज मिल सके।

