छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में ज़मीन घोटालों, पुलिस–राजनीतिक गठजोड़ और संगठित अपराध में घिरे कुख्यात कारोबारी विनोद अग्रवाल उर्फ़ मग्गू सेठ को देश की सर्वोच्च अदालत से भी करारा झटका लगा है। 7 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) को खारिज कर दिया। इसके साथ ही हाई कोर्ट और लोवर कोर्ट का फैसला बरकरार रहा।
लोवर कोर्ट: ट्रायल कोर्ट में सेठ की याचिकाएँ साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के सामने टिक नहीं सकीं।
हाई कोर्ट (1 जुलाई 2025): बिलासपुर हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि निचली अदालत का आदेश सही है और राहत देने का कोई आधार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट (7 अगस्त 2025): जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा—“कोई विशेष कारण नहीं है कि हम अनुमति दें।” इसके बाद SLP खारिज हो गई।
आपराधिक पृष्ठभूमि
मग्गू सेठ का नाम 2009 से लेकर 2024 तक कई आपराधिक मामलों में सामने आता रहा है।
क्रेशर हत्याकांड (मार्च 2022) – जांच प्रभावित करने का आरोप।
फर्जी रजिस्ट्री व धोखाधड़ी (नवंबर 2024) – पहाड़ी कोरवा समुदाय से ज़मीन हड़पने का मामला, 14 लाख का चेक (768085, 18.11.24) सामने आया।
थाना राजपुर – बलवा, अपहरण, SC/ST उत्पीड़न सहित 5 प्रकरण।
चौकी बरियों – बलवा, लापरवाही से मृत्यु, बंधक बनाने सहित 4 प्रकरण।
जिला बदर की कार्रवाई पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि चार–पाँच FIR होते ही जिला बदर होना चाहिए था, लेकिन फ़ाइल दबा दी गई। आरोप है कि सेठ के “बोटी नुमा रुपये” (अवैध धन) से पुलिस–प्रशासन लंबे समय तक कार्रवाई से बचता रहा।
बेनामी संपत्ति का खुलासा
जांच में सामने आया कि कमला देवी / रीझन / नगेसिया के नाम पर सिर्फ ग्राम भेसकी (जनपद पंचायत राजपुर, बलरामपुर) में ही लगभग 50 से अधिक प्लॉट खरीदे गए।
कुल रकबा – 23.54 हेक्टेयर
खसरा नंबर – 17/8, 17/9, 17/12, 17/14 … से लेकर 313/3 तक (50+ प्लॉट)
ये कमला देवी / रीझन / नगेसिया कौन है?
कमला देवी के नाम पर ग्राम भेसकी, जनपद पंचायत राजपुर, जिला- बलरामपुर सिर्फ एक गांव में लगभग पचास से अधिक प्लाट है जिसका विवरण कुछ प्रकार है:-
01 – खसरा नंबर 17/8 रकबा 0.364 हे0,
02 – खसरा नंबर 17/9 रकबा 0.364 हे0,
03 – खसरा नंबर 17/12 रकबा 0.405 हे0,
04 – खसरा नंबर 17/14 रकबा 1.125 हे0,
05 – खसरा नंबर 17/15 रकबा 0.129 हे0,
06 – खसरा नंबर 17/18 रकबा 0.384 हे0,
07 – खसरा नंबर 17/19 रकबा 0.442 हे0,
08 – खसरा नंबर 17/21 रकबा 0.405 हे0,
09 – खसरा नंबर 17/22 रकबा 0.121 हे0,
10 – खसरा नंबर 17/49 रकबा 0.405 हे0,
11 – खसरा नंबर 17/50 रकबा 0.898 हे0,
12 – खसरा नंबर 157/5 रकबा 0.841 हे0,
13 – खसरा नंबर 157/12 रकबा 1.357 हे0,
14 – खसरा नंबर 157/13 रकबा 1.061 हे0,
15 – खसरा नंबर 157/14 रकबा 0.607 हे0,
16 – खसरा नंबर 157/15 रकबा 0.129 हे0,
17 – खसरा नंबर 157/33 रकबा 0.342 हे0,
18 – खसरा नंबर 226 रकबा 0.494 हे0,
19 – खसरा नंबर 232 रकबा 0.081 हे0,
20 – खसरा नंबर 233 रकबा 0.275 हे0,
21 – खसरा नंबर 238 रकबा 0.433 हे0,
22 – खसरा नंबर 239/1 रकबा 0.224 हे0,
23 – खसरा नंबर 240/2 रकबा 0.332 हे0,
24 – खसरा नंबर 240/3 रकबा 1.089 हे0,
25 – खसरा नंबर 240/4 रकबा 0.299 हे0,
26 – खसरा नंबर 240/5 रकबा 0.216 हे0,
27 – खसरा नंबर 240/8 रकबा 0.114 हे0,
28 – खसरा नंबर 240/11 रकबा 0.121 हे0,
29 – खसरा नंबर 240/12 रकबा 0.121 हे0,
30 – खसरा नंबर 240/13 रकबा 0.121 हे0,
31 – खसरा नंबर 240/14 रकबा 0.210 हे0,
32 – खसरा नंबर 240/17 रकबा 0.105 हे0,
33 – खसरा नंबर 240/18 रकबा 0.206 हे0,
34 – खसरा नंबर 240/19 रकबा 0.106 हे0,
35 – खसरा नंबर 240/20 रकबा 0.114 हे0,
36 – खसरा नंबर 240/21 रकबा 0.405 हे0,
37 – खसरा नंबर 241/2 रकबा 0.049 हे0,
38 – खसरा नंबर 242/3 रकबा 0.150 हे0,
39 – खसरा नंबर 242/4 रकबा 0.322 हे0,
40 – खसरा नंबर 243 रकबा 0.162 हे0,
41 – खसरा नंबर 244 रकबा 0.101 हे0,
42 – खसरा नंबर 246 रकबा 0.049 हे0,
43 – खसरा नंबर 247 रकबा .0146 हे0,
44 – खसरा नंबर 278/02 रकबा 0.930 हे0,
45 – खसरा नंबर 278/3 रकबा 1.295 हे0,
46 – खसरा नंबर 278/4 रकबा 0.825 हे0,
47 – खसरा नंबर 291 रकबा 0.174 हे0,
48 – खसरा नंबर 292/18 रकबा 0.289 हे0,
49 – खसरा नंबर 298/3 रकबा 1.141 हे0,
50 – खसरा नंबर 298/4 रकबा 0.194 हे0,
51 – खसरा नंबर 305 रकबा 0.045 हे0,
52 – खसरा नंबर 308/1 रकबा 0.682 हे0,
53 – खसरा नंबर 308/2 रकबा 1.200 हे0,
54 – खसरा नंबर 313/1 रकबा 0.422 हे0,
55 – खसरा नंबर 313/2 रकबा 0.307 हे0,
56 – खसरा नंबर 313/3 रकबा 0.610 हे0
ये कमला देवी / रीझन / नगेसिया के नाम से और सिर्फ एक गाँव में इतनी जमीन खरीदी गई ज़मीन का कुल रकबा: 23.54 हेक्टेयर है, आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि पूरे जिले व छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में सम्पत्ति इक्कठा की गई है, क्या उसका भी पता लगायेगी राजस्व विभाग या बेनामी संपत्ति को अधिकारी कर्मचारी आपस में बटवारा करने वाले हैं।
आशंका है कि पूरे जिले और छत्तीसगढ़ के अन्य इलाकों में भी सेठ ने फर्जी रजिस्ट्री व बेनामी संपत्ति के जरिए अरबों की संपत्ति इकट्ठी की है।
मुख्य आरोप
आदिवासी (कोरवा/पण्डो) और राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र की ज़मीन पर कब्ज़ा।
फर्जी रजिस्ट्री और बेनामी नेटवर्क।
स्थानीय पुलिस–प्रशासन से गठजोड़।
पीड़ित परिवारों को न्याय से वंचित रखना।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट से हारने के बाद अब मग्गू सेठ के पास कोई बड़ा कानूनी विकल्प नहीं बचा है। गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई का रास्ता साफ है।
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि—
“क्या पुलिस अब भी देरी करेगी या तुरंत गिरफ्तारी होगी?”
स्थानीय लोग कहते हैं—
“अब अगर गिरफ्तारी में देरी होती है, तो समझा जाएगा कि कहीं न कहीं बड़ी डील चल रही है।”
यह मामला अब सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी भू-अधिकार, कानून व्यवस्था और प्रशासन की निष्पक्षता की सबसे बड़ी कसौटी बन गया है।