स्वास्थ्य मंत्री के निजी सहायक प्रकाश शुक्ला पर गंभीर आरोप, कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुआ अपराध- जानिए क्या है पूरा मामला?

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य मंत्री के निजी सहायक (PA) प्रकाश शुक्ला पर पद का दुरुपयोग कर एक आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने का गंभीर आरोप लगा है। आरोप है कि उन्होंने थाना स्तर पर दबाव बनाकर एक आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से रोका। यह मामला अब कोर्ट तक पहुंच चुका हैं, जिसके बाद न्यायालय के निर्देश पर संबंधित थाने में अपराध दर्ज किया गया। मामला 2 माह से निलंबित रहा जिससे प्रार्थी को न्याय में देरी और समस्याओं का सामना करना पड़ा साथ ही न्याय के लिए ठोकर खाने पड़े।

जानिए क्या है पूरा मामला?

सूत्रों के अनुसार, यह मामला चिरमिरी क्षेत्र के एक थाने का है, जहाँ पीड़ित पक्ष ने एक व्यक्ति के खिलाफ गंभीर आरोपों के साथ प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रयास किया। आरोप है कि जब मामला थाने तक पहुंचा तो स्वास्थ्य मंत्री के निजी सहायक (PA) प्रकाश शुक्ला ने कथित तौर पर थाने में फोन कर पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाया कि आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज न की जाए। जिसके चलते पुलिस विभाग ने केस दर्ज न करते हुए पीड़ित को न्याय के लिए ठोकर खाने में मजबूर कर दिया जिसके बाद पीड़ित ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

जब थाने में FIR दर्ज न होने पर पीड़ित पक्ष ने मामले को अदालत में प्रस्तुत किया। कोर्ट में पेश किए गए साक्ष्यों और बयान को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने थाना प्रभारी को निर्देशित किया कि आरोपी के खिलाफ तत्काल अपराध पंजीबद्ध किया जाए।

कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस हरकत में

कोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस के पास आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इसके बाद संबंधित थाने में धारा 420 (धोखाधड़ी), 506 (धमकी) और मार पीट सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।

पद का दुरुपयोग और बढ़ते सवाल

स्वास्थ्य मंत्री के निजी सहायक (PA) प्रकाश शुक्ला पर यह पहला आरोप नहीं है। इससे पहले भी उन पर सत्ता का दुरुपयोग कर विभिन्न विभागों में अनैतिक दबाव बनाने के आरोप लगते रहे हैं। विपक्ष ने इस घटना को लेकर तीखा हमला बोला है और मंत्री स्तर की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

विपक्षी दलों का कहना है कि –

“यह स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे सरकार के करीबी लोग सत्ता के प्रभाव का दुरुपयोग कर न्याय में बाधा डाल रहे हैं। यदि न्यायालय दखल न देता, तो यह मामला दबा दिया जाता।”

प्रशासन और मंत्री पक्ष की चुप्पी

मामले को लेकर अभी तक स्वास्थ्य मंत्री या उनके कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। प्रशासनिक स्तर पर भी मामले की निष्पक्ष जांच की कोई घोषणा नहीं की गई है, जिससे सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच निष्पक्ष रूप से होती है तो पद के दुरुपयोग और न्यायिक कार्य में बाधा डालने जैसी गंभीर धाराओं के तहत प्रकाश शुक्ला पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में किस तरह से निष्पक्षता बरतते हैं या राजनीतिक दबाव के आगे झुक जाते हैं।-

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