रायपुर: रायपुर सेंट्रल जेल में रविवार देर रात एक सनसनीखेज वारदात सामने आई, जब जेल के अंदर युवा कांग्रेस नेता आशीष शिंदे पर धारदार हथियार से जानलेवा हमला किया गया। घटना ने न केवल जेल सुरक्षा को कटघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि इसके राजनीतिक निहितार्थ भी गहराते नजर आ रहे हैं।
कैसे हुआ हमला?
जेल के नियमित कार्य के दौरान “साई” नामक कैदी और उसके एक साथी ने मिलकर आशीष शिंदे पर ब्लेड से हमला कर दिया। घाव: चेहरे, हाथ और छाती पर गंभीर चोटें आई हैं। स्थिति: उन्हें तत्काल मेकाहारा अस्पताल रेफर किया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
शिंदे जेल में क्यों हैं?
करीब नौ दिन पहले रायपुर पुलिस ने आशीष शिंदे को गिरफ्तार किया था।
उन पर आरोप है कि उन्होंने विवादित तांत्रिक केके श्रीवास्तव को पुलिस से छिपाने में मदद की और उसे अपनी गाड़ी में घुमा-फिराकर जेल से भगाने की साजिश रची।
सबूत: इस मामले में CCTV फुटेज और कॉल डिटेल्स के आधार पर शिंदे की भूमिका सामने आई थी।
राजनीतिक भूमिका: आशीष शिंदे, रायपुर उत्तर विधानसभा के युवा कांग्रेस अध्यक्ष हैं।
केके श्रीवास्तव प्रकरण: पृष्ठभूमि
केके श्रीवास्तव, एक कथित तांत्रिक, जिन पर दिल्ली के एक कारोबारी से ₹15 करोड़ की ठगी का आरोप है।
यह मामला स्मार्ट सिटी और NRDA प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।आयकर विभाग और ED को श्रीवास्तव के खातों में लगभग ₹300 करोड़ के संदिग्ध ट्रांजैक्शन का पता चला है।
राजनीतिक और प्रशासनिक असर
जेल परिसर में धारदार हथियार (ब्लेड) का पाया जाना, और उस से हमला हो जाना—जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सीधा सवाल उठाता है।
कैसे कैदी हथियार लेकर खुले घूम रहे थे?
क्या यह हमला आपसी रंजिश था या किसी बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा?
प्रारंभिक जांच में पुलिस और जेल प्रशासन इसे आपसी रंजिश या सुनियोजित षड्यंत्र मान रही है।
जेल की फोरेंसिक-ऑडिट जांच शुरू कर दी गई है।
सुरक्षा चूक की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस और अन्य स्थानीय दलों ने इस घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि केवल शिंदे पर लगे आरोप नहीं, बल्कि जेल के भीतर हमले की पारदर्शी जांच जरूरी है।
निष्कर्ष: क्या जेल अब सुरक्षित है?
इस हमले ने रायपुर सेंट्रल जेल की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
एक प्रमुख राजनीतिक युवा नेता पर जेल के भीतर हमला न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि इससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या जेल प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभा पा रहा है?
आने वाले दिनों में जांच की दिशा और राजनीतिक प्रतिक्रिया इस घटना को और बड़ा मोड़ दे सकती है।