एक बार फिर रायपुर महिला थाना में पीड़ित महिलाए हो रही अनावश्यक परेशान-पीड़िता महिला को कब मिलेगा न्याय-प्रशासन की सुशासन तिहार बन गई नाम मात्र-

राजेन्द्र देवांगन
10 Min Read

रायपुर -छत्तीसगढ़ के रायपुर में बढ़ते जा रही है महिलाओं पे अत्याचार का केस, महिला थाना रायपुर छत्तीसगढ़ में पीड़ित महिलाएं अपने सुरक्षा और सम्मान के हक की फरियाद लिए उम्मीद से जाते है पर उनकी हक का हनन महिला थाना रायपुर द्वारा किया जा रहा है । हालही में अनेकों प्रकरण दर्ज हुए पर कई मामले में लापरवाही सामने आई है ऐसे ही एक मामला सामने आया जिसमे पीड़िता को उसके जेठ पति और ससुराल वालों द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया पर महिला थाना उसपर कोई कार्यवाही नहीं कर रही ।

जाने पूरा मामला क्या है:

27 वर्ष की पीड़ित महिला जो उरला, सरकारी कॉलोनी, बिरगांव रायपुर छत्तीसगढ़ की निवासी है जिसकी शादी साहू से 19/02/2023 को आर्य समाज में प्रेम विवाह हुआ। शादी के बाद से पीड़िता को उसके ससुराल वाले प्रताड़ित करने लगे क्यों कि वह दूसरे जाती की है जिसके कारण उसको अपमान सहन कर पति के प्रेम वश रहना पड़ता था हद तो तब पार हो गई जब पीड़िता को ससुराल वाले मारना पीटना गाली देना शुरू किए इतना ही नहीं पति पुष्पेंद्र कुमार साहू को उसके परिवार वाले , छत राम साहू और बड़े भाई दिनेश द्वारा भड़काया,धमकाया और दबाव बनाएं जाने लगा कि वह पीड़िता को छोड़ कर अपने जाती की लड़की से दूसरी शादी कर ले जिससे विवश होकर पति अपने पत्नी की संपूर्ण जिम्मेदारी व जवाबरारी से दूर हो गए है ।

महिला थाना में पीड़ित महिलाए हो रही अनावश्यक परेशान,

पारिवारिक मतभेद के कारण 2025 होली के बाद से पुष्पेंद्र कुमार साहू ने खुद को लापता होने का नाटक किया जिससे पीड़िता मानसिक रूप से परेशान होकर उरला थाना में अपने पति की गुमशुदा की आवेदन दी पता चला पुष्पेंद्र कुमार साहू अपने ही निवास स्थान चमरी पारा, धरतेरी, जांजगीर चांपा में रह रहा हैं। पति के पता मिलने पर पीड़िता उसको अपने साथ लाने गई तो दिनेश साहू , नितेश साहू और पुष्पेंद्र साहू द्वारा नशे के हालत में पीड़िता को मारा पीटा गया, जान से मारने की धमकी दी गई और शारीरिक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया । पीड़िता को घर से निकाल दिया गया जिसके बाद पीड़िता मेकाहारा में अपना इलाज़ कराना भी बताई है।

एफ आई आर में गड़बड़ी:

महिला के शिकायत के पश्चात महिला थाना रायपुर द्वारा 3 बार काउंसलिंग कराया गया जिसमें पीड़िता और पति के बीच समझाइश की कोई गुंजाइश न होने पर पीड़िता के बयान अनुसार एफ आई आर किया गया पर महिला थाना रायपुर द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई ना ही पति और ससुराल वालों की गिरफ्तारी हुईं और न ही एफ आई आर में ससुराल वालों का नाम जोड़ा गया। ऐसे में पीड़ित अपनी परेशानी लेकर कहा जाएं। महिला थाना रायपुर ने पति पुष्पेंद्र कुमार साहू पे 01/05/2025 को हल्की धारा BNS 85/2023 लगा कर छोड़ दिया। क्या यह उचित है?

महिला थाना रायपुर की प्रभारी बदलती है पर सिस्टम नहीं:

महिला थाना रायपुर पूर्व समय से ही अपने लेन देन, दलाली और “मामले निपटाने” के नाम पर चर्चित रही हैं, प्रभारी बदलती है पर अफ़सोस व्यवस्था वही की वही रहती है। ऐसे में सवाल यह उठता है – क्या पद बदलने से मानसिकता बदलती है ?
एक तरफ़ छत्तीसगढ़ सरकार सुशासन त्यौहार में बहु बेटियां को सक्षम बनाने का कार्य कर रही वही कुछ अधिकारी अपना जेब भरने में लगे है हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि थाने का भरोसा, अब भय में बदल चुका है। यह घटना कानून व्यवस्था की खुलेआम अनदेखी और मानव अधिकारों की हनन को दर्शाती है। क्या ऐसे में राजधानी की बहु बेटी और महिलाए सुरक्षित है ? क्या पीड़िताओं को न्याय मिलेगा?

महिलाएं असुरक्षित महसूस करें, तो सिस्टम की सच्चाई सामने आ जाती है।

महिला थाना प्रभारी मंजुलता राठौर और सहकर्मी पर भी मामला सामने आया जिसमे लगातार कई केस में लापरवाही की जा रही प्रार्थी के आवेद अनुसार काउंसिलिंग के बाद FIR सिर्फ पति पर किया गया और गिरफ्तारी में लगाए 7 से 8 माह उसकी बाद भी आरोपी और उसके घर वालों को बचाने की कोशिश जारी यह अंदेशा है भ्रष्टाचार के तरफ़।

क्या इन आरोपों के आधार पर, पुलिस को निम्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करना चाहिए था :-
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 85: पति या पति के रिश्तेदार द्वारा क्रूरता ।
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 86: दहेज से संबंधि त क्रूरता ।
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 120: धोखाधड़ी ।
● भारतीय न्याय संहि ता (BNS) की धारा 354: हमला या आपराधि क बल का उपयोग महि ला को
अपमानित करने के इरादे से।
● हालांकि , पुलिस ने केवल धारा 85 के तहत मामला दर्ज कि या।
यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस ने अन्य धाराओं के तहत मामला क्यों दर्ज नहीं किया।
यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस ने अन्य धाराओं के तहत मामला क्यों दर्ज नहीं किया।
सूत्र बताते हैं कि इसके संभावित कारण निम्नलिखित हो सकते हैं :-
● पुलिस ने महिला के आरोपों की गंभीरता को पूरी तरह से नहीं समझा।
● पुलिस के पास संसाधनों की कमी थी और वे मामले को सरल बनाना चाहते थे।
● पुलिस ने लापरवाही बरती या भ्रष्टाचार कि या।
● किसी भी स्थिति में, यह पुलिस की ओर से एक गंभीर चूक है।

सरकार और आयोग की चुप्पी:

बेहद शर्मनाक है सरकार और आयोग सभी चुप्पी साधे बैठी है इधर महिला थाना रायपुर अपनी मनमानी करने में लगी है महिलाओं के लिए बनाए गए सुरक्षा कानून में पीड़ित महिलाएं ठोकर खा रही है एफ आई आर होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं, गिरफ्तारी नहीं और तो और ससुराल वालों को एफ आई आर में गड़बड़ी कर लेन देन कर बचाया जा रहा है।

आखिर कब तक चलेगी ऐसे भ्रष्टाचार?

• कब मिलेगा महिलाओं को उनका हक और सम्मान?
• कब मिलेगा महिलाओं को इंसाफ?
• कभी आरोपी को बचाने की कोशिश की जाती है तो कभी आरोपी के घर वालों को आरोप से बचाया जा रहा हैं ऐसे में पीड़ित परिवार और पीड़िता कहा जाएं?

न्याय कीआस में दर-दर की ठोक खाने को मजबूर महिला

यह मामला न केवल पीड़िता के साथ अन्याय को दर्शाता है, बल्कि उन जिम्मेदार विभागों की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है, जिनसे महिलाओं को सुरक्षा और न्याय की उम्मीद होती है। पीड़िता अब इंसाफ के लिए गुहार लगा रही है और मांग कर रही है कि संबंधित विभाग अपनी निष्क्रियता तोड़ें और उसे न्याय दिलाने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

पीड़ित महिलाओं की मांग: –

1. भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाएं
2. लेन देन करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए
3. महिलाओ की सुरक्षा पर उचित क़दम उठाएं
4. महिला थाना में काउंसलिंग सेंटर पर सीसी टीवी कैमरा और सुरक्षा बलों को रखा जाएं
5. पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाने हेतु कार्य गति में तीव्रता लाई जाए

एक तरफ जहां पर प्रदेश में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार सुशासन तिहार के माध्यम से आम जनता को न्याय, हक और उनकी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए एक कदम आगे बढ़ा कर कार्य कर रही तो वहीं पुलिस विभाग के कुछ कर्मी इस योजना को विफल करने की कोशिश में लगे हैं।

विष्णु देव सरकार की कार्यप्रणाली लग रहा प्रश्नचिह्?

इस खबर के ज़रिए हम एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर पुलिस और राज्य महिला आयोग से अपील करते हैं —
1. महिला थाना रायपुर में लंबित मामलों की तुरंत उच्चस्तरीय जांच कराएं।
2. जिन मामलों में अग्रिम जमानत खारिज है, वहाँ गिरफ्तारी सुनिश्चित करें।
3. महिला अधिकारों के संरक्षण के लिए स्पष्ट नीति और निगरानी तंत्र बनाएँ।

अगर अब भी कार्रवाई नहीं होती, तो यह समझा जाएगा कि “महिला न्याय भी छत्तीसगढ़ में बिकाऊ है।”
भ्रष्टाचार और लेन देन सरकार और प्रशासन पर पड़ रहा भरी इसलिए प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। हमारी टीम इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखेगी और अगला अपडेट जल्द देगी।

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