स्कूलों से अवैध वसूली के आरोप में बीआरसी प्रणव द्विवेदी निलंबित, भोपाल से कार्रवाई

Babita Sharma
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रतलाम के विकासखंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ विकासखंड स्रोत समन्वयक (बीआरसी) प्रणव कुमार द्विवेदी को उनके पद से हटा दिया गया है। उन पर स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण और निरीक्षण के नाम पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगे थे। मामले में लोक शिक्षण मध्यप्रदेश की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने कार्रवाई करते हुए निलंबन का आदेश जारी किया है।

सूत्रों के मुताबिक, कई स्कूल संचालकों ने विभागीय अधिकारियों पर अवैध वसूली करने की शिकायत भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय से की थी। आरोप है कि एक अधिकारी ने स्वयं भाजपा नेता के स्कूल जाकर उनके भाई से 30 हजार रुपये की मांग भी की थी। इस शिकायत को उपाध्याय ने गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री सहित कैबिनेट मंत्री चैतन्य काश्यप तक पहुंचाया।

भाजपा जिलाध्यक्ष ने जिला शिक्षा केंद्र पहुंचकर अधिकारियों को फटकार लगाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों ने रिश्वत ली है, उनके खिलाफ उनके पास पुख्ता सबूत मौजूद हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और स्कूल संचालकों से वसूली गई राशि तत्काल लौटाई जाए।

इस मामले में जांच की प्रक्रिया शुरू हुई और सात दिन पहले कलेक्टर राजेश बाथम ने कार्रवाई करते हुए द्विवेदी को बीआरसी पद से हटाकर मूल स्थान पर भेज दिया था। इसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल से निलंबन की पुष्टि करते हुए आदेश जारी किया गया।

निलंबन आदेश में क्या कहा गया

कलेक्टर द्वारा भोपाल भेजे गए प्रस्ताव में उल्लेख किया गया कि अशासकीय स्कूलों की मान्यता, नवीनीकरण और अनुमति प्रदान करने के नाम पर अवैध वसूली की खबरें लगातार सामने आ रही थीं। यह कृत्य न केवल जिला प्रशासन, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा रहा था।

निलंबन आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि प्रणव द्विवेदी के कार्यकाल में आर्थिक अनियमितताओं की शिकायतें सार्वजनिक रूप से समाचार माध्यमों में प्रकाशित हुईं, जिससे विभाग की साख को ठेस पहुंची। इस आधार पर राज्य शिक्षा केंद्र ने निलंबन की अनुशंसा करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से आलोट विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच किया है।

प्रशासनिक सख्ती का संकेत

यह कार्रवाई शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की गंभीरता का संकेत है। बीआरसी जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए अगर अधिकारी इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाए जाते हैं, तो यह न केवल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है।

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ब्यूरो चीफ - मध्यप्रदेश