जांच में बड़ा खुलासा: लाखों सरकारी किताबें रद्दी के भाव में बेची गईं छत्तीसगढ़ में पुस्तक घोटाला मामले की जांच पूरी हो गई है। अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले ने 1045 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में राजनांदगांव, सूरजपुर, धमतरी और जशपुर के जिला शिक्षा अधिकारियों को दोषी पाया गया है। जांच में खुलासा हुआ कि अधिकारियों की मिलीभगत से दो लाख सरकारी किताबें रद्दी के भाव में बेची गईं। इनमें से एक लाख किताबें सत्र 2024-25 की थीं।
जांच टीम ने किया घोटाले का पर्दाफाश जांच टीम ने दो आईएएस अधिकारियों सहित 24 लोगों के बयान दर्ज किए। जांच में पाया गया कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की मांग पर डिपो से किताबें निकाली गईं और फिर कबाड़ी की दुकान तक पहुंच गईं। रिपोर्ट में बताया गया कि 35 दिनों में 80 टन किताबें रियल बोर्ड एंड पेपर मिल तक पहुंचाई गईं। पेपर मिल मालिक महेश पटेल और विनोद रूढानी ने स्वीकार किया कि उन्हें हर साल निगम से किताबें मिलती हैं, लेकिन वे सत्र नहीं देखते।
पूर्व विधायक ने किया था घोटाले का खुलासा इस घोटाले का खुलासा पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने किया था। उन्होंने रायपुर के सिलियारी स्थित पेपर मिल में लाखों सरकारी किताबें मिलने के बाद धरना देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उपाध्याय ने आरोप लगाया था कि सरकार ने किताबें खरीदीं और बिना बांटे ही बेच दीं।
सरकार की कार्रवाई और जांच समिति की रिपोर्ट मामले के उजागर होने के बाद सरकार ने पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अब दोषियों पर कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
पाठ्य पुस्तक निगम के जीएम निलंबित घोटाले के बाद सीएम विष्णु देव साय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा को सस्पेंड कर दिया है। उन पर 2024-25 सत्र की नई किताबों को कबाड़ में बेचने का आरोप है। अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले की जांच के बाद यह कार्रवाई की गई।