राजनांदगांव: जिले के चिचोला पुलिस चौकी के अंतर्गत छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर स्थित पाटेकोहरा परिवहन चेक पोस्ट और बरनारा कला अस्थाई बेरियर भ्रष्टाचार का बड़ा केंद्र बन चुके हैं। शासन के नियमानुसार इन चेक पोस्ट्स पर केवल कंपल्सरी फीस (सी.एफ.) वसूली जानी चाहिए, लेकिन प्राइवेट अधिकारियों और परिवहन निरीक्षकों की मिलीभगत से अवैध उगाही का एक सुव्यवस्थित नेटवर्क तैयार किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रकों और भारी वाहनों से एंट्री के नाम पर 100 से लेकर 2000 रुपये तक वसूले जाते हैं, वहीं ओवरलोड वाहनों के लिए अलग से शुल्क तय किया गया है। इस गोरखधंधे में प्राइवेट अधिकारी अनिल वर्गीस, राजकुमार सिन्हा और लखन साहू की मुख्य भूमिका सामने आई है, जिनकी मासिक अवैध कमाई लाखों में बताई जा रही है।
शासकीय अधिकारियों की संलिप्तता?…
आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी में खुलासा हुआ है कि पाटेकोहरा चेक पोस्ट पर कार्यरत अनिल वर्गीस, राजकुमार सिन्हा, लखन साहू, कमलेश यादव, माखन सिन्हा और ईश्वर साहू का नाम परिवहन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं है। यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि आखिर ये लोग किस आधार पर बेरियर पर कार्यरत हैं? परिवहन विभाग के निरीक्षक इन पर कार्यवाही करने से बच रहे हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं।
भ्रष्टाचार का तंत्र और ऊपरी स्तर तक पहुंच….
सूत्रों का दावा है कि इन चेक पोस्ट्स से इकट्ठा किया गया अवैध धन विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों में बांटा जाता है। पाटेकोहरा बेरियर को ‘कुबेर का खजाना’ कहा जा रहा है, जहां से शासन को जितना राजस्व मिलता है, उतनी ही राशि हेराफेरी कर निजी खातों में जमा की जाती है।
ईडी जांच की मांग…
सूत्रों के मुताबिक, यदि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इन चेक पोस्ट्स पर छापा मारे तो करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है। परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बड़े पैमाने पर इस गड़बड़झाले में संलिप्त हैं।
केंद्रीय मंत्री का चेक पोस्ट बंद करने का ऐलान…
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के गठन के बाद भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसने की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में देशभर में परिवहन चेक पोस्ट्स को बंद करने की घोषणा की है, जिससे इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लग सकती है।
प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत?…
प्रशासन को इन अवैध कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। शासकीय वाहन से करोड़ों की राशि बैंक में भेजी जा रही है, जिसकी सुरक्षा पर भी सवाल उठते हैं। यदि किसी दुर्घटना में यह धन नष्ट हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
बहरहाल अब देखना यह होगा कि शासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।