श्रीनगर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक पुस्तक “J&K and Ladakh Through the Ages” का विमोचन किया। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डाला और एक ऐसा बयान दिया, जिसने नई बहस छेड़ दी। अमित शाह ने कहा कि कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप के नाम पर रखा गया था, और इसे “कश्यप” कहे जाने की संभावना को भी खारिज नहीं किया जा सकता।
कश्मीर का ऐतिहासिक संबंध कश्यप से
अपने संबोधन में अमित शाह ने भारत की संस्कृति और इतिहास को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में कश्मीर और झेलम नदी का उल्लेख मिलता है, जो इस क्षेत्र की ऐतिहासिक गहराई को दर्शाता है। उनका कहना था कि कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है, और दुनिया की कोई ताकत इसे भारत से अलग नहीं कर सकती।
Will Modi government change the name of Jammu-Kashmir state?: महर्षि कश्यप का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास के अनुसार कश्मीर का नाम महर्षि कश्यप के नाम पर पड़ा था। महर्षि कश्यप ने यहां तपस्या की और इसे बसाया। यह क्षेत्र कभी कश्यप समाज के लोगों का निवास स्थल था। महाभारत जैसे ग्रंथों में भी कश्मीर की संस्कृति और मंदिरों का जिक्र मिलता है।
नई किताब में जम्मू-कश्मीर का महत्व
अमित शाह ने जिस पुस्तक का विमोचन किया, वह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास को समर्पित है। हिंदी में इस पुस्तक का नाम “जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत” है। इसमें इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का विस्तार से वर्णन किया गया है।
अमित शाह के बयान के मायने
Will Modi government change the name of Jammu-Kashmir state?: महर्षि कश्यप का नाम लेकर अमित शाह ने कश्मीर के इतिहास और उसकी गहराई को उजागर किया। यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि, कश्मीर का नाम बदलकर “कश्यप” रखने को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इस विचार ने समाज और राजनीतिक हलकों में चर्चा जरूर छेड़ दी है।
कश्मीर की ऐतिहासिक जड़ें महर्षि कश्यप के साथ जुड़ी हुई हैं, और गृह मंत्री अमित शाह ने इस तथ्य को उजागर कर एक नई बहस को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है।
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