टीएस सिंहदेव ने जेसीसी के विलय और बागियों की वापसी पर दी प्रतिक्रिया: “राजनीति में वन-प्लस-वन का गणित नहीं चलता”

राजेन्द्र देवांगन
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छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने जेसीसी (जोगी कांग्रेस) के कांग्रेस में विलय और बागियों की वापसी पर बेबाक टिप्पणी की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे इस विचार के समर्थक नहीं हैं। सिंहदेव ने कहा, “मैं कभी भी इस पक्ष में नहीं रहा कि बाहर से आने वालों को कंधे या माथे पर बैठा लिया जाए। राजनीति में वन-प्लस-वन का गणित नहीं चलता। गलत फैसले से फायदे के बजाय नुकसान भी हो सकता है।”

जेसीसी के कांग्रेस में विलय की चर्चा

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी के लिए मिल रहे आवेदनों की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इन प्रयासों के तहत जेसीसी का कांग्रेस में विलय करने की भी चर्चा जोरों पर है। जेसीसी के प्रमुख नेता अमित जोगी और रेणु जोगी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी की है।

बागियों की वापसी पर सिंहदेव की शर्त

टीएस सिंहदेव ने बागियों की वापसी पर भी अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा कि उनकी वापसी सोच-समझकर होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “जिस क्षेत्र के वे नेता हैं, वहां के स्थानीय नेताओं की सहमति जरूरी है। यदि सहमति नहीं बनती, तो उनकी वापसी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। जो पहले से कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

जेसीसी बनने के बाद कांग्रेस को हुआ फायदा

सिंहदेव ने यह भी कहा कि जेसीसी बनने के बाद कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिला। उन्होंने कहा, “जोगी कांग्रेस के गठन के बाद भी अजीत जोगी कांग्रेस में वापस आना चाहते थे। मैंने राहुल गांधी से कहा था कि एक चुनाव बिना उनके देख लेते हैं। जोगी जी के अलग चुनाव लड़ने से कांग्रेस का वोट प्रभावित नहीं हुआ। बल्कि उनके कारण बीजेपी को नुकसान हुआ।”

“तालमेल न हो तो वापसी का कोई औचित्य नहीं”

सिंहदेव ने कहा कि बागियों की वापसी तभी होनी चाहिए जब पार्टी में तालमेल बने। यदि वापसी के बाद खींचतान होती है, तो यह पार्टी के लिए घातक होगा।

अगले चार साल कार्यकर्ता की भूमिका निभाने का संकल्प

सिंहदेव ने कहा कि उनका लक्ष्य अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाना है। उन्होंने कहा, “मैं एक कार्यकर्ता की तरह अगले चार साल काम करूंगा। लोगों से मिलूंगा और उनके मुद्दों को उठाऊंगा।”

यह बयान ऐसे समय आया है जब छत्तीसगढ़ में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। सिंहदेव का यह रुख स्पष्ट करता है कि वे पार्टी की आंतरिक मजबूती और मौजूदा कार्यकर्ताओं की भूमिका को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं।

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