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जंगलों के बीच बनाया हेड क्वार्टर, जानिए कौन-कौन सी सुविधाओं के बीच रहते हैं नक्सली

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बस्तर में जंगलों के बीच बनाया हेड क्वार्टर, जानिए कौन-कौन सी सुविधाओं के बीच रहते हैं नक्सली

पुलिस हेड क्वार्टर में पुलिस के जवानों को ट्रेनिंग देने के साथ उनकी सारी सुविधाओं का खास ख्याल रखा जाता है, लेकिन पहली बार बस्तर से एक नक्सली हेड क्वार्टर की तस्वीर भी सामने आई है. दरअसल चार दशकों से नक्सली सुकमा जिले के पूवर्ती गांव में बनाये अपने इस हेड क्वार्टर को काफी सेफ जोन मानते थे, लेकिन 17 फरवरी 2024 को नक्सलियों के इस हेड क्वार्टर में सुकमा पुलिस के जवानों को पहुंचने में बड़ी सफलता मिली है.
साथ ही जवानों ने नक्सलियों की हेड क्वार्टर की तस्वीर भी सोशल मीडिया में वायरल की है. जहां नक्सली अपने सुविधाओं का खास ख्याल रखते हैं. जिसमें मछली पालन के लिए तालाब बनाने से लेकर रेस्ट रूम और ऑर्गेनिक खेती कर अलग-अलग हरी सब्जियां उगाते हैं. हालांकि जवानों के नक्सलियो के इस गढ़ में पहुंचने के बाद नक्सलियों ने अब इस जगह को छोड़ दिया है और किसी सेफ जोन की तलाश में हैं, लेकिन पहली बार नक्सलियों के हेड क्वार्टर की तस्वीर सामने आने से इसका खुलासा हुआ है कि किस तरह से नक्सली इस घने जंगलों के बीच अपना हेड क्वाटर बनाकर सुविधाओं के बीच रहते हैं. 

इस गांव में है नक्सलियों का हेड क्वार्टर
दरअसल छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूर्वर्ती गांव को नक्सलियों ने पिछले 4 दशकों से अपना हेड क्वार्टर बना रखा था. पूर्वर्ती गांव सुकमा शहर से करीब 42 किलोमीटर अंदर चारों तरफ पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच मौजूद है. पिछले 4 दशकों से नक्सलियों का इस इलाके में कब्जा है और नक्सली इस इलाके से पूरी तरह से परिचित हैं. यही वजह है कि इस इलाके में जब कभी भी फोर्स घुसने की कोशिश की तो फोर्स को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ा. खासकर बुर्कापाल, कसालपाड़, ताड़मेटला और टेकलगुड़ेम जैसे बड़े नक्सली वारदात इसके उदाहरण हैं. इन चारों ही बड़े नक्सल हमलों में 120 से भी ज्यादा जवानों की शहादत हुई है.
पूरे इलाके से भली भांति परिचित होने की वजह से नक्सलियों ने इसे अपना हेड क्वार्टर बनाया और अपने सुविधा के लिए सारे चीजे इंतजाम कर रखी. खास बात यह है कि पूवर्ती गांव 30 लाख रुपए के इनामी नक्सली और सेंट्रल कमेटी मेंबर हिड़मा और पीएलजीए प्लाटून नंबर 1 के कमांडर बारसे देवा का गृहग्राम भी है. यही वजह है की पूवर्ती गांव को नक्सलियों ने काफी सुरक्षित ठिकाना बनाकर रखा था. यहां नक्सलियों ने मछली पालन के लिए तालाब खोद रखा है. साथ ही 4 एकड़ में ऑर्गेनिक खेती भी नक्सली यहां कर रहे थे. जिसमें सभी तरह की हरी सब्जियां नक्सलियों ने उगायी है. वहीं अलग-अलग इलाकों में नक्सलियों ने रेस्ट रूम बनाने के साथ ट्रेनिंग सेंटर भी बना रखा है. नक्सलियों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि कभी जवान यहां पहुंच सकते हैं. इसी वजह से नक्सलियों ने पूवर्ती गांव को सुविधाओं के मद्देनजर हेडक्वार्टर बनाया.

नक्सलियों के हेड क्वार्टर में लहराया तिरंगा
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि 30 जनवरी को सुकमा और बीजापुर जिले के सरहद पर मौजूद टेकलगुड़ेम गांव में कैंप स्थापित करने के बाद अगला टारगेट पूवर्ती गांव में कैंप स्थापित करना रखा गया. इस पूर्वर्ती गांव तक पहुंचने के लिए जवानों को काफी मशक्कत भी करनी पड़ी. नक्सलियों ने लगातार जवानों पर हमले कर जवानों को रोकने की कोशिश की करीब 10 से अधिक बार नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट भी किया, लेकिन जवानों का मनोबल कम नहीं हुआ. इस इलाके में ड्रोन से नजर रखने के साथ लगातार ऑपरेशन चलाकर आखिरकार सुकमा जिला पुलिस सीआरपीएफ के जवानों के साथ पूवर्ती गांव पहुंची और यहां पुलिस कैंप स्थापित किया.

आईजी ने बताया कि आने वाले 10 दिनों के अंदर इस कैंप को CRPF की तरफ से एफओबी (फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेसस) कैंप के तर्ज पर तैयार कर लिया जाएगा और उसके बाद यहीं से एंटी नक्सल ऑपरेशन लॉन्च किया जाएगा.  आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि देश की आजादी के बाद यह पहली बार है जब नक्सलियों के हेड क्वार्टर पूर्वर्ती गांव में पुलिस ने कैंप स्थापित कर तिरंगा लहराया और खुद सुकमा के एसपी किरण चव्हाण ने खूंखार नक्सली हिड़मा के परिवार से मुलाकात कर पूवर्ती गांव तक विकास कार्य पहुंचाने का वादा किया.

एसपी ने की लोगों को गांव लौटने की अपील
सुकमा जिले के एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि पूवर्ती गांव में नक्सलियों ने करीब 4 एकड़ में सब्जियों की खेती कर रखी है. इसके अलावा धान उगाने के साथ तालाब भी बनाया है और दूसरे राज्यों से आने वाले नक्सली लीडरों के लिए बकायदा रेस्ट रूम भी बनाया है. नक्सलियों ने इस जगह को पूरे हेड क्वार्टर की तरह तैयार किया है, लेकिन अब इस इलाके में पुलिस पहुंच चुकी है और पूवर्ती गांव में पुलिस कैंप भी स्थापित कर चुकी है और इस कैम्प निर्माण का काम अंतिम चरण में है. यहां के ग्रामीणों से बातचीत के दौरान पता चला कि आज तक कभी यहां प्रशासन की टीम नहीं पहुंच पाई.
आजादी के 75 साल बाद भी गांव तक कोई भी योजना या कोई भी सरकारी सुविधा नहीं पहुंच पाई है. अब कोशिश की जाएगी कि कैंप स्थापित करने के बाद इसी कैंप से ज्यादा से ज्यादा नक्सलियो के खिलाफ ऑपरेशन लॉन्च किया जा सके और सड़क मार्ग बनाकर इसके जरिए इस गांव तक विकास कार्य पहुंचाया जा सके. एसपी ने बताया कि उन्होंने ग्रामीणों से नक्सलवाद से दूर रहने की अपील की है. साथ ही कैंप खोलने के बाद गांव से गायब पुरुषों से वापस लौटने की भी अपील करते हुए नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर ग्रामीणों को मुख्य धारा से जुड़ने और फोर्स का साथ देने के साथ गांव के विकास के लिए ग्रामीण से सहयोग की अपील की है.

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