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जानें नोट पर क्यों लिखा होता है “मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं”, इससे जुड़ीं और भी रोचक बातें….!

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रिपोर्टर सीता टंडन

करंसी नोट पर क्‍यों लिखा होता है ‘मैं धारक को…रुपये अदा करने का वचन देता हूं’, क्‍या है इसका मतलब…!

बहुत कम लोग हैं, जिन्हें उनकी जेब में रखे करेंसी नोट की पूरी जानकारी होती है. बाजार से कुछ भी खरीदना होता है तो उसके बदले हमे बराबर कीमत के रुपये देने होते हैं. ये रुपये कागज के कुछ नोट भी हो सकते हैं. वैसे तो मुद्रा के रूप में आज के दौर में सिक्कों और नोटों का ही चलन है. नोटबंदी हुई, 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद किया गया, नए नोटों को चलाया गया. नए नोटों का साइज, कलर, प्रिंट सब बदल गया, लेकिन एक चीज जो नहीं बदली वह है नोट पर लिखी यह लाइन – ‘मैं धारक को…रुपये अदा करने का वचन देता हूं. 10 से लेकर 2000 रुपये तक के नोट पर भी यही वाक्य लिखा होता है. क्या आप इस वाक्य की महत्ता को समझते हैं? कभी सोचा है कि इसका मतलब क्या है और अगर यह न लिखा हो तो क्या होगा?

क्या है इस लाइन का मतलब

भारत में नोटों को बनाने और उनके वितरण की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की है. रिजर्व बैंक धारक (यानी नोट को रखने वाले) को विश्वास दिलाने के लिए नोट पर ये वचन लिखती है. इसका मतलब यह होता है कि जितने मूल्य का नोट आपके पास है, उतने मूल्य का सोना RBI के पास रिजर्व रखा है. यानी इस बात की गारंटी है कि उतने मूल्य के नोट के लिए धारक को उसकी देयता है.

नोटों पर क्यों बनी होती हैं तिरछी लाइनें

इसके अलावा, आपने अगर गौर किया हो तो 100, 200, 500 और 2000 रुपये के नोटों के किनारों पर तिरछी लाइनें बनी होती हैं. इन लाइनों को ‘ब्‍लीड मार्क्‍स’ कहते हैं. असल में इन ब्‍लीड मार्क्‍स को खासतौर पर नेत्रहीनों के लिए बनाया जाता है. नोट पर बनी इन लकीरों को छू कर ही वो लोग यह पता लगा सकते हैं कि वह नोट कितने रुपये का है. इसीलिए 100, 200, 500 और 2000 के नोटों पर अलग-अलग संख्‍या में लकीरें बनीं हुई होती हैं.

1 रुपये के नोट पर नहीं होते RBI गवर्नर के हस्ताक्षर

भारतीय मुद्रा में 1 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के नोट चलन में हैं. इन सभी नोटों के मूल्यों का जिम्मेदार RBI गवर्नर होता है. गौरतलब है कि सिर्फ एक रुपये के नोट को छोड़कर बाकी सभी नोटों पर RBI गवर्नर के हस्ताक्षर रहते हैं. लेकिन एक रुपये के नोट पर भारत के वित्त सचिव के हस्ताक्षर अंकित होते हैं.

मैं धारक को… ‘ क्यों लिखा होता है?

1. करेंसी नोट पर इसे लिखने से देश में इस करेंसी की वैल्यू को लेकर लोगों में एक विश्वास होता है कि इतनी कीमत के लिए वे इस नोट को खर्च कर सकते हैं.

2. यह एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है. इससे करेंसी होल्डर को यह पता चलता है कि यह नोट भारत में कानूनी रूप से मान्य है और जिस व्यक्ति को यह नोट दिया जाएगा, उसे नियमानुसार इस नोट को अपने पास रखने में कोई कानूनी जोख़िम नहीं है.

3. नोटों पर लिखा जाने वाला यह ‘प्रॉमिसरी नोट’ आरबीआई की ओर से एक तरह का बिना शर्त का वादा होता है कि वो करेंसी होल्डर को इतनी ही रकम देने का उत्तरदायी है.

4. अगर किसी करेंसी नोट पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ यह प्रॉमिसरी नोट नहीं लिखा होता है, तो कोई भी देशी/विदेशी व्यक्ति इस करेंसी नोट को स्वीकर करने में संकोच करेगा. वो इस नोट की एक्सचेंज वैल्यू को लेकर निश्चित नहीं हो पाएगा.

भारतीय रिजर्व बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के माध्‍यम से मुद्रा प्रबंधन का जिम्‍मा सौंपा गया है. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 22, रिज़र्व बैंक को नोट जारी करने का अधिकार देती है.
नोट लेने से इंकार करना अपराध

कोई व्यक्ति किसी सही नोट को लेने से इंकार करता है तो इसका सीधा यह मतलब है कि वह RBI के गवर्नर अर्थात सरकार के प्रतिनिधि की आज्ञा को नहीं मान रहा है अर्थात कानून तोड़ रहा है इसलिए उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है

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