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जब मुश्किल वक्त में कई लोग चुप हो गए, तब फली नरीमन देश की आवाज थे’, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इमरजेंसी का किया जिक्र…!

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जब मुश्किल वक्त में कई लोग चुप हो गए, तब फली नरीमन देश की आवाज थे’, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इमरजेंसी का किया जिक्र…!
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को दिवंगत वरिष्ठ अधिवक्ता फसी एस नरीमन की तारीफ की। सीजेआई ने इस दौरान फली एस नरीमन के भारत के इतिहास में उथल-पुथल भरे दौर में पड़े प्रभाव के बारे में बात की। सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि नरीमन कई वकीलों और न्यायाधीशों के गुरु थे, और जब वह निर्णयों की आलोचना करते थे तो उन्होंने कभी भी शब्दों में कमी नहीं की।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाल ही में संविधान पीठ के फैसले पर उनके (फाली नरीमन) निधन से ठीक पहले मुझे एक पत्र मिला था। जब कठिन समय में कई आवाजें खामोश हो गईं, तो उनकी मजबूत आवाज राष्ट्र की आवाज थी। उनकी यादें हमेशा एक मार्गदर्शक के रूप इस कोर्ट में न्याय की सेवा करने वाले कई लोगों के लिए काम करेंगी।
सीजेआई गुरुवार सुप्रीम कोर्ट में फली नरीमन के सम्मान में आयोजित एक फुल-कोर्ट रेफरेंस में बोल रहे थे। सीजेआई ने अपने संबोधन में कहा कि नरीमन की अदम्य नैतिकता, अदम्य साहस और सिद्धांत ने देश की आत्मा को मजबूत किया। नरीमन के शानदार करियर पर प्रकाश डालते हुए सीजेआई ने उनके असाधारण कानूनी कौशल और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर भी बात की।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आपातकाल लगाया गया था, एएसजी नरीमन (जैसा कि वह तब थे) ने इस्तीफा दे दिया था और उन्हें इस सवाल से निर्देशित किया गया था कि क्या आपातकाल लागू करना सही था। विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं में कई क्लाइंट के लिए उपस्थित होने के बावजूद उनका मानना था कि प्राथमिक कर्तव्य सेवा करना होता है।
सीजेआई ने कई ऐतिहासिक मामलों में नरीमन की भूमिका का भी जिक्र किया, जिसमें अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारों की वकालत भी शामिल है। नवतेज सिंह जौहर मामले में फैसले ने नरीमन के रुख की पुष्टि की कि वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध को अपराध नहीं बनाया जा सकता है।
सीजेआई ने नरीमन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बड़े-बूढ़े लोग केवल मरते हैं, लेकिन कभी मिटते नहीं। बता दें, वरिष्ठ वकील नरीमन का 21 फरवरी, 2024 की सुबह निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे।सात दशकों से अधिक समय तक चले कानूनी करियर के दौरान नरीमन ने बार और बेंच में सभी का सम्मान हासिल किया।
नरीमन ने बॉम्बे हाई कोर्ट से शुरू की थी प्रैक्टिस
1950 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज (मुंबई) से स्नातक होने के बाद नरीमन ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 1971 में एक वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया था। उस वर्ष वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अभ्यास करने के लिए दिल्ली चले गए।

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