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Janjgir Champa News”जंगल की पहरेदारी करने वाली देवी मां” टहनियों को ले जाने से डरते हैं लोग”जानिए इस गांव की मान्यता…!

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रिपोर्टर सीता टंडन

Janjgir Champa News:: ये जंगल तो है पवित्र पर यहां की लकड़ी को मनाते हैं अशुभ! जानिए इस गांव की मान्यता…!

जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक ऐसा जंगल है, जहां न पेड़ काटा जाता है और न ही यहां की सूखी लकड़ियों को उठाकर घर लाया जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि गलती से भी अगर इस जंगल की एक लकड़ी भी घर पहुंच जाए तो अनिष्ट हो जाता है. परिवार पर ऐसी आफत बरसती है कि तोड़ निकालना मुश्किल हो जाता है. हम बात कर रहे हैं पहरिया पाठ जंगल की. जहां एक ओर मां अन्नधरी विराजमान हैं तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों की अपनी मान्यताएं भी हैं. जंगल की लकड़ी उपयोग नहीं करने की यह परंपरा इस क्षेत्र में बरसों से चली आ रही है.

जिला मुख्यालय जांजगीर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पहरिया की मां अन्नधरी देवी की ख्याति दूर-दूर तक है। यहां प्रतिवर्ष क्वांर और चैत्र नवरात्रि में ज्योतिकलश प्रज्लवलित किए जाते हैं। करीब 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले पहरिया पाठ जंगल की हरियाली अब तक कायम है, इसका मुख्य कारण अन्नधरी दाई के प्रति लोगों की आस्था को माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, अन्नधरी दाई साक्षात रूप से जंगल की रखवाली करती हैं।

यहां भरपूर मात्रा में सूखे पेड़ और लकड़ियां होने के बाद भी ग्रामीण इनका जलाऊ लकड़ी के रूप में प्रयोग नहीं करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय से ये परंपरा चली आ रही है. अगर कोई गलती से जंगल से लकड़ी उठा भी लाया तो कुछ दिनों में ही उसके घर में अनहोनी हो गई. मां अन्नधरी दाई भी यहां विराजमान हैं. इन्हीं का प्रताप है कि लोग जंगल को पवित्र मानते हुए यहां पेड़ों की कटाई नहीं करते.

जहां सरकार जंगल बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च करती है फिर भी लकड़ी चोर माफियाओं को रोक पाने में नाकाम रहती है। वही पहरिया में मां अन्नाधरी दाई की कृपा से पूरा जंगल सुरक्षित है।

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