मुख पृष्ठराष्ट्रीय

पश्चिम बंगाल सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा? संदेशखाली के आरोपियों को बचाना चाहते हैं आप,

Advertisement

Sandeshkhali Case: पश्चिम बंगाल के संदेशखली में जमीन हड़पने और महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न और हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से दिए गए सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाली बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई हुई. बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें रखीं. इस दौरान कोर्ट ने ममता सरकार से पूछा कि आखिर क्यों वह आरोपियों को बचाना चाहती हैं.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने यह कहते हुए स्थगन की मांग की कि कुछ महत्वपूर्ण जानकारी कोर्ट के सामने रखना है जो बहुत प्रासंगिक है. इस दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने पूछा कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों दी है. राज्य को किसी निजी व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर जवाब देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने भी कहा कि हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी की थी और यही फैसले को चुनौती देने का कारण है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां अनुचित था क्योंकि सरकार ने पूरी कार्रवाई की थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा था तो राज्य ने टिप्पणियों को हटवाने के लिए हाईकोर्ट से संपर्क क्यों नहीं किया.

गर्मी छुट्टी के बाद होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को गर्मी छुट्टी के बाद के लिए टालते हुए यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य की अपील लंबित होने को किसी भी उद्देश्य के लिए आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसका मतलब है कि सीबीआई अपनी जांच आगे बढ़ा सकती है. आपको बताते चलें कि संदेशखली मामले में शेख शाहजहां को टीएमसी ने पार्टी से निलंबित कर दिया है.

क्यों सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार

संदेशखली मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिए थे जिसके बाद ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि इस मामले में राज्य सरकार के कार्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है. कलकत्ता HC का निर्देश अनुचित है और कानून की नजर में टिकाऊ नहीं हैं और SC को इसे रद्द करना चाहिए.

Related Articles

Back to top button