अन्यछत्तीसगढ़

Chhattisgarh”Keshkal”वंशवृद्धि:प्रजनन केंद्र में पहली बार नील गाय ने 2 बछड़ों को दिया जन्म…

Advertisement
ब्यूरो रिपोर्ट प्रमिला नेताम

वंशवृद्धि:प्रजनन केंद्र में पहली बार नील गाय ने 2 बछड़ों को दिया जन्म…

बस्तर संभाग के कांगेर घाटी के प्रजनन केंद्र से खुशखबरी आई है। यहां रखी गई नील गाय की वंशवृद्धि हो गई है। यहां मादा नील गाय ने दो स्वस्थ बछड़ों को जन्म दिया है। प्रजनन केंद्र में आए दो नए मेहमानों से विभागीय अफसर और इलाके के लोग भी खुश हैं। ऐसा पहली बार है जब कांगेर घाटी में बनाए गए प्रजनन केंद्र में किसी जीव ने बच्चों को जन्म दिया है।

सीसीएफ वाइल्ड लाइफ एके श्रीवास्तव ने बताया कि प्रजनन केंद्र में दो सालों से नील गायों को रखा गया था। इसके बाद अब यहां वंशवृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि प्रजनन केंद्र की स्थापना 2019 में प्रजनन के साथ ही जंगलों में मिलने वाले घायल जानवरों की देखभाल के लिए भी की गई है। यहां प्रजनन के साथ-साथ ऐसे जानवर जो अपने झुंड से भटक जाते हैं या घायल अवस्था में मिलते हैं उनको रखने, स्वस्थ करने और उनकी देखभाल के लिए की गई है।

कांगेर घाटी के डीएफओ धम्मशील गणवीर ने बताया कि कांगेर घाटी में पहले 6 नील गाय थीं। इनमें से एक मादा ने अभी कुछ दिनों पहले दो बछड़ों को जन्म दिया है। इसके साथ ही अब यहां इनकी संख्या 8 हो गई है। उन्होंने बताया कि नील गाय संरक्षित प्रजाति का जीव है।

गौरतलब है कि इसी प्रजनन केंद्र से अभी कुछ दिनों पहले ही इसी प्रजनन केंद्र से 52 चीतल को जंगलों में छोड़ा गया था। इन चीतलों को छोड़ने के लिए बोमा तकनीक का उपयोग किया गया था। कांगेर घाटी के इस प्रजनन केंद्र का फायदा लगातार छोटे शाकाहारी जीवों को मिल रहा है।


नीलगाय दिवाचर (दिन में चलने-फिरने वाला) वन्यप्राणी है। वे घास भी चरती है और झाड़ियों के पत्ते भी खाती हैं। मौका मिलने पर वह फसलों पर भी धावा बोलती हैं। उसे बेर के फल खाना बहुत पसंद है। महुए के फूल भी बड़े चाव से खा जाती हैं।

अधिक ऊंचाई की डालियों तक पहुंचने के लिए वह अपनी पिछली टांगों पर खड़ी हो जाती है। उसकी सूंघने और देखने की शक्ति अच्छी होती है, लेकिन सुनने की क्षमता कमजोर होती है। नील गाय औसत तीन लीटर तक दूध देती है और इनकी उम्र 7 साल तक की होती है। बस्तर का वातावरण इनके लिए अनुकूल है।

Related Articles

Back to top button