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Chhattisgarh Bastar News
:बारसर में भगवान गणेश की विश्व की तीसरी सबसे बड़ी पत्थर की मूर्ति…जानें 11वीं शताब्दी से जुड़ी मंदिर की रोचक कहानी…!

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ब्यूरो रिपोर्ट सत्येंद्र सिंह

Bastar News: बारसर में है भगवान गणेश की विश्व की तीसरी सबसे बड़ी मूर्ति… जानें 11वीं शताब्दी से जुड़ी मंदिर की रोचक कहानी….!
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के देवनगरी बारसर में भी भगवान गणेश की ऐसी प्राचीन मंदिर है जो 11 वीं शताब्दी में छिंदक नागवंशी राजा के द्वारा बनाई गई है. यहां विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है और यह विश्व की पहली भगवान गणेश की जुड़वा प्रतिमा भी है. इस गणेश प्रतिमा की खास बात यह है कि यह हजार साल पुरानी है और एक ही पत्थर में बनाई गई विश्व की पहली जुड़वा गणेश की प्रतिमा है.

इस मंदिर में भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा साढ़े 7 फीट ऊंची है, और दूसरी प्रतिमा साडे साढ़े 5 फीट ऊंची है, यह दोनों मूर्तियां मोनोलिथिक है, यानि कि एक चट्टान को बिना कांटे  छांटे और बिना जोड़े तोड़े बनाई गई मूर्तियां है, जहां एक मूर्ति में भगवान गणेश ने लड्डू छुपाके या संभाल के रखे  हैं, तो वहीं दूसरी मूर्ति में बप्पा इन लड्डुओं का भोग लगा चुके हैं. यह दोनों मूर्तियां बालू यानी रेत के चट्टानों से बनाई गई है.

दरअसल बारसूर ग्राम को इसलिए देव नगरी कहा जाता है, क्योंकि यहां रियासत काल में 147 तालाब और 147 मंदिरे हुआ करते थे ,जो अपने आप में ऐतिहासिक है,

इस मूर्ति को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा माना जाता है, इस मंदिर के पीछे एक दन्तकथा जुड़ी हुई है कि 11वीं शताब्दी में जब बस्तर में छिंदक नागवंशी राजाओं का राज था,  ऐसे में बारसूर के राजा बाणासुर ने मंदिर को बनाया था और गणेश मंदिर को बनाने के पीछे भी अलग विशेषता है.

 

राजा बाणासुर की बेटी उषा और उनके मंत्री कुभांडु की बेटी चित्रलेखा दोनों जिगरी सहेलियां थी और दोनों भगवान गणेश की परमभक्त थी, राजा बाणासुर ने इनके लिए ही एक ही पत्थर में दो विशालकाय गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कराया था, जहां हर रोज दोनों पूजा पाठ के लिए आया करती थी,

लेकिन यंहा पर ध्यान आकर्षित करने वाले और भी मंदिरों है जो मामा – भॉचा मंदिर, चन्द्रादित्य मंदिर, बत्तीसा मंदिर और गणेश मंदिर इन मंदिरों के अलावा पूर्व-ऐतिहासिक दिनों का एक विशाल तालाब है जो देखते बनता है।

आज हजारों साल बीतने के बावजूद भी यहां आसपास के गांव के साथ ही देश और विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक इस विशालकाय प्रतिमा को देखने बारसूर गणेश मंदिर पहुंचते हैं.

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