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CG – आरक्षण व्यवस्था का अध्ययन करने तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जाएगा अधिकारियों का दल..CM भूपेश बघेल ने दिए निर्देश..

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ब्यूरो रिपोर्ट मनोज शुक्ला

CG- सीएम बघेल ने दिए निर्देश: अधिकारियों का दल कर्नाटक सहित इन राज्यों में करेगा आरक्षण व्यवस्था का अध्ययन, जल्द ही सौंपेंगे रिपोर्ट….

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हाईकोर्ट के फैसले के बाद आरक्षण को लेकर जो स्थिति बनी है, उसका हल निकालने के लिए अधिकारियों का अध्ययन दल दूसरे राज्य जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संदर्भ में आज बैठक में निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण व्यवस्था को लेकर दूसरे राज्यों में लागू आरक्षण का अध्ययन करें। यहां दल तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र जाएगा। इन राज्यों में आरक्षण व्यवस्था का अधिकारी अध्ययन करेंगे और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगे। माना जा रहा है कि राज्य सरकार को सौंपे जाने वाले रिपोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ में आरक्षण व्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ाया जायेगा।

बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 50% से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। इस संबंध में अलग-अलग मामलों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने 19 सितंबर को अपने फैसले में 58% आरक्षण को रद्द कर दिया। इसके बाद से राजनीति गरमा गई है। भर्ती परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी है। भाजपा ने इसके लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। इन परिस्थितियों में सभी वर्ग के हित में फैसला हो सके, इसलिए सीएम ने तीन राज्यों में अध्ययन दल भेजने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री पहले भी इस मामले में अपनी सरकार का रूख स्पष्ट कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को 32 प्रतिशत के आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है और इसके लिए हर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि प्रदेश में आरक्षित वर्ग का किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा, यह हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता में है। आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन के लिए हमारी सरकार पूरी तरह से सजग होकर कार्य कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा। इस विषय में सरकार स्वतः संज्ञान लेकर सभी जरूरी कदम उठा रही है, इसलिए आदिवासी समाज को बिल्कुल भी चिंचित होने की जरूरत नहीं है। राज्य में हमारी सरकार आदिवासियों के हित और उनके उत्थान के लिए कृत-संकल्पित है। हमारा मुख्य ध्येय राज्य में आदिवासी समाज को आगे बढ़ाते हुए उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि राज्य में हमारी सरकार के बनते ही आदिवासियों के उत्थान के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। आदिवासियों के हित को ध्यान रखते हुए इस मामले में जो भी आवश्यक कदम होगा, वह उठाया जाएगा।

बता दें कि 19 सितंबर को हाई कोर्ट ने प्रदेश में 58 प्रतिशत आरक्षण के प्रविधान वाले अधिनियम को निरस्त करके 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण के प्रविधान को असंवैधानिक करार दिया है। इस निर्णय के बाद एसटी का आरक्षण 32 से 20 प्रतिशत हो गया है। वहीं प्रदेश में एससी को 16 प्रतिशत और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान है।


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