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CG:अबूझमाड़ में पुलिस कैंप के विरोध में आदिवासी…कहा- महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेगी…ग्रामीणों को नक्सली बताकर भेजेंगे जेल…13 पंचायत के लोग कर रहे प्रदर्शन…

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ब्यूरो रिपोर्ट सत्येंद्र सिंह

CG:अबूझमाड़ में पुलिस कैंप के विरोध में आदिवासी…कहा- महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेगी…ग्रामीणों को नक्सली बताकर भेजेंगे जेल…13 पंचायत के लोग कर रहे प्रदर्शन…

अबूझमाड़ में आदिवासी एक बार फिर सड़क पर उतर गए हैं. आदिवासी प्रस्तावित नए पुलिस कैंप और वन संरक्षण अधिनियम 2022 को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. आदिवासी महिलाओं का कहना है कि पुलिस कैंप खुलने से हम बहुत बड़ी परेशानी में पड़ जाएंगे. बिना ग्राम सभा की अनुमति के कैंप खुलने नहीं दिया जाएगा.

लोकसभा ना राज्यसभा सबसे ऊपर ग्राम सभा. जल जंगल जमीन हमारा. कुछ इस तरह के नारों के साथ अबुझमाड़ क्षेत्र के 13 ग्राम पंचायत के हजारों आदिवासी सोमवार को इकट्ठे हुए और वन संरक्षण अधिनियम 2022 और प्रस्तावित नए पुलिस कैंप का विरोध करने लगे. तीन दिन तक चलने वाले इस जनसभा में पारंपरिक वेशभूषा, तीर धनुष लेकर गायता, पटेल, मांझी और गांव के मुखिया पहुंचे. हजारों की इस भीड़ में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई. हजारों ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि हमें गांव में पुलिस कैंप, सड़क नहीं चाहिए. कैंप खुलने का प्रस्ताव जब तक वापस नहीं लिया जाएगा तब तक आंदोलन करते रहेंगे.

अबूझमाड़ में पुलिस कैंप के विरोध में आदिवासी

नेडनार, कलमानार, कस्तूरमेटा, कुतुल, दुरबेड़ा, पद्ममकोट, घमंडी, कोहकामेट, कच्चापाल, इरकभट्टी, मुरनार, करमरी, राजपुर सहित 13 ग्राम पंचायत के हजारों आदिवासी इरकभट्टी पहुंचे. सबसे पहले ग्रामीणों ने अपनी वेशभूषा में रैली निकालकर प्रदर्शन किया. इसके बाद देवी देवता की पूजा अर्चना कर सभा स्थल के पास गोंडवाना का झंडा फहराते हुए जनसमुदाय को अपने अधिकारों और लड़ाई से संबंधित विषयों पर विस्तार से बताया.

कैंप खुलने से सुरक्षित नहीं रहेंगी महिलाएं: नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के इरकभट्टी में तीन दिन तक एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया है. कच्चापाल निवासी मालती पोटाई ने बताया “गांव में सुरक्षा बलों का कैंप खुलेगा तो हमारे लिए परेशानी बढ़ेगी. महिलाएं जंगल में आजादी से घूम नहीं सकेगी. ग्रामीणों को नक्सली बनाकर जेल भेजा जाएगा. महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ेगा. सुरक्षा बल के जवान महिलाओं को उठा कर ले जाएंगे. बिना ग्राम सभा की अनुमति के कैंप नहीं खोलने देंगे.

वन संरक्षण अधिनियम 2022 को रद्द करने की मांग:पोटाई ने आगे बताया “माड़ में ग्रामीणों की आजीविका का साधन वनोपज से है. जहां से कंदमूल के अलावा विभिन्न प्रकार की औषधि हम जंगल से लाते हैं. वन संरक्षण अधिनियम 2022के कारण हमें जंगल में ही जाने की अनुमति नहीं मिलेगी. हमारा जीवन कैसे चलेगा. जंगल जाने पर पुलिस हमें नक्सली बताकर पकड़ लेगी.”

आदिवासियों ने वन संरक्षण अधिनियम 1996को वापस बहाल करने की मांग की है. कच्चा पाल निवासी धोबाराम ने बताया-” पेसा कानून और वन संरक्षण अधिनियम को लेकर हम प्रदर्शन कर रहे हैं. 1996 में जो वन संरक्षण अधिनियम बनाया गया था वो अच्छा था. उसमें जल जंगल जमीन पर हमारा अधिकार था. लेकिन नए कानून से जल जंगल जमीन पर सरकार का कब्जा हो जाएगा. खदानें खोली जाएगी. कैंप खोले जाएंगे. हम इसे गलत मानते हैं. इसी का हम विरोध कर रहे हैं. “

नारायणपुर के नक्सल प्रभावित इरकभट्टी इलाके में सुरक्षा बलों का कैंप खुलना प्रस्तावित है. ये ऐसा इलाका है जो पूरी तरह से नक्सलियों के कब्जे में हैं. पुलिस का मानना है कि यदि यहां कैंप खुलता है तो इसका सीधा फायदा इलाके के लोगों को मिलेगा क्योंकि गांव में सड़क, अस्पताल, स्कूल समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं ग्रामीणों को मिल सकेगी. साथ ही अबूझमाड़ के इस इलाके से भी नक्सली बैक फुट में आएंगे.

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