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BALAGHAT ” Gangulpura” Falls” गांगुलपारा के इस खूबसूरत वॉटर फॉल को एक बार देखेंगे तो यहां बार-बार आने का करेगा दिल… झरनों के बारे में जाने रोचक तथ्य ….!

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BALAGHAT ” Gangulpura” Falls” गांगुलपारा के इस खूबसूरत वॉटर फॉल को एक बार देखेंगे तो यहां बार-बार आने का करेगा दिल… झरनों के बारे में जाने रोचक तथ्य ….!

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में मौजूद घने जंगलों के बीच प्राकृतिक झरनों का सुरम्य नजारा पचमढ़ी की वादियों की याद ताजा कराते हैं। जिला नैसर्गिक सौंदर्य से समृद्ध है। यहां की प्रकृति की गोद में ऐतिहासि धरोहरें ही नहीं प्राकृतिक झरने भी मौजूद हैं। जो जिले के पर्यटन को निखार रहे हैं। ऐसे ही झरनों में शामिल है। गांगुलपारा का झरना और गोदरी में स्थित मेंढकापार की पहाड़ी पर मौजूद झरना। बारिश के दिनों में झरने का सुरम्य नजार देखने रोजाना पर्यटक पहुंचते हैं, इन तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम है, लेकिन झरनों का जलप्रवाह देखने लोग रोमांचित हो जाते हैं। इन्हें देखते ही लोगों की पूरे सफर की थकान मिट जाती है। यहां पर्यटकों को जितना संस्कृति लुभाती है,उतना ही यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी उन्हें आकर्षित करता है।

चहुंओर बिछी हरियाली, बिखरी पड़ी पुरातात्विक धरोहरें: नैसर्गिक सौंदर्य से समृद्ध बालाघाट जिले में चहुंओर बिछी हरियाली आगुंतकों का स्वागच करती है। इससे इतर प्रकृति के खजाने में भी इस क्षेत्र में रचे बचे हैं। शेष कसर मानवीय प्रयासों ने कर दी है। जो पुरातात्विक धरोहर के रूप में आकर्षण का केंद्र है। विश्व प्रसिद्ध कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के अलावा आध्यात्मिक पर्यटन स्थल दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। देश-विदेश के सैलानियों के लिए यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और आश्चर्य का प्रतीक बने स्थल विस्मय का केंद्र हैं। प्रकृति का मनोरम नजारा देख पर्यटक व सैलानी आश्चर्य में पड़ जाते हैं।

वहीं मूलभूत सुविधाओं में कमी और प्रशासनिक उदासीनता के चलते उन स्थलों तक पहुंचना दूभर हो गया है।स्थिति यह कि प्रकृति के सौंदर्य का दीदार पर्यटक व सैलानियों के लिए दुर्लभ हो गया है।इनके विकास के लिए बालाघाट में टूरिज्म प्रमोशन कौंसिल खास योजना बनाकर काम कर रही है।

ऐसे जानें पर्यटन स्थलों कोः चिरपाइन का प्लांटेशन करता है आकर्षित प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल कान्हा नेशनल पार्क में नैसर्गिक सौंदर्य के बीच स्थित सूपखार रेस्टहाउस अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। यहां 100 साल बाद भी विदेशियों के राजसी ठाठ के सामान ज्यों के त्यों है। खास बात तो यह है कि विशेष प्रकार की तनशी घास से ढंका रेस्टहाउस मौसम के बदलते ही अपनी तासीर बदल देता है।

ब्रिटिश शासनकाल में जार्ज पंचम के आगमन पर सन्‌ 1910 में स्थानीय घास से उन दिनों आदिवासियों ने सुंदर घास लाकर रेस्टहाउस की छत पर बिछाई थी। जार्ज पंचम को घास, फूस से बने ठंडी हवा ने काफी आकर्षित किया था। कान्हा की वादियों में 1910 के इतिहास में खूबसूरती को संवारने काफी प्रयास किया गया था। रेस्टहाउस के समीप करीब 20 हेक्टेयर भूमि पर उन दिनों चिरपाइन का प्लांटेशन कराया गया था। कान्हा की वादियों में चिरपाईन के घने व ऊंचे-ऊंचे वृक्ष रेस्टहाऊस की खूबसूरती को बरकरार रखे हुए हैं।बालाघाट जिले की सीमा से लगा सूपखार रेंज का यह इलाका प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है।

लांजी में आस्था का पर्यटनः लांजी तहसील में जहां अटूट आस्था का प्रतीक बना कोटेश्वर महादेव धाम समूचे क्षेत्र में प्रख्यात है, तो वहीं लंजकाई मंदिर भी प्रसिद्ध है। अपने इतिहास को समेटे लांजी में स्थित किला देख-रेख के अभाव में जमींदोज हो गया है।


गांगुलपारा का जलाशय का झरना आकर्षण का केंद्रः भरवेली व बंजारी की पहाड़ियों के बीच स्थित प्राकृतिक झरनों से शोभित गांगुलपारा जलाशय नगर का एक मात्र मुख्य पर्यटन स्थल है। जहां सैर सपाटे की नियत से लोग जाते हैं। वैसे तो गांगुलपारा जलाशय में बोटिंग की भी व्यवस्था की जा चुकी है।लेकिन प्रशासनिक अनदेखी के चलते यहां बोटिंग भी ठीक तरह से नहीं हो पाती है। गांगुलपारा जलाशय समूचे क्षेत्र में नैसर्गिक सौंदर्य के लिए प्रख्यात तो है।

बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित जिला है, जहां आए दिन नक्सली गतिविधियां देखने को मिलती है. ऐसे में यहां आने से पहले लोगों में एक दहशत सी रहती है, लेकिन इसके परे बालाघाट जिले का सबसे खूबसूरत एक ऐसा झरना है जो प्रकृति की गोद में है और नक्सली गतिविधियों से कोसो दूर है..

इसके बाारे में जितना सुना था उससे कई गुना ज्यादा हमें इसकी खूबसूरती देखने मिली. शहर की चकाचौंध में वो आनंद कभी नही मिल पाता, जो हम प्रकृति के बीच कुछ पल गुजारकर पाते है और वही आंनन्द हमने यहां आकर पाया भी है.. बालाघाट जिले का यह गांगुलपारा झरना बेहद स्मरणीय है.

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