देश की राजधानी दिल्ली स्थित त्यागराज स्टेडियम में मंगलवार को बौद्धिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिए खेलों को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय महासंघ स्पेशल ओलंपिक का आगाज हुआ।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया की मौजूदगी में इसका.स्पेशल ओलंपिक एशिया पैसिफिक बोचे और बॉलिंग प्रतियोगिता वैश्विक स्तर पर पहला इवेंट है। इसमें 22 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बौद्धिक और विकासात्मक विकलांगता (आईडीडी) वाले एथलीट हिस्सा लेते हैं। दिल्ली में आयोजित यह कार्यक्रम 19 से 22 नवंबर तक चलेगा।
छत्तीसगढ़ के दो खिलाड़ी कर रहे प्रतिनिधित्व कॉम्पिटिशन में छत्तीसगढ़ के दो खिलाड़ी भी शामिल हो रहे हैं। इसमें बिलासपुर की सिमरन पुजारा और रायपुर के इभानन साहू शामिल हैं। इस ओलंपिक में दोनों बच्चे देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। यहां देश के 16 बच्चों की टीम का सलेक्शन किया गया है।
इस टूर्नामेंट के जरिए उन लोगों को अपनी क्षमता और प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिलेगा जो कि समाज में वंचित रह जाते हैं। वैसे तो उम्र बढ़ने के साथ-साथ अमूमन खिलाड़ियों के लिए अवसर खुलते हैं। लेकिन इन खिलाड़ियों के लिए यह बिलकुल उलट है।संसाधन की कमी फिर भी हासिल की सफलता बिलासपुर की 26 साल की सिमरन पुजारा ने नेशनल के मिक्स डबल में गोल्ड हासिल किया था।
उनकी मां डायटिशियन कविता पुजारा ने बताया कि सिमरन को मानसिक दिव्यांगता है। कभी सोचा नहीं था कि सिमरन को इस फील्ड में लेकर जाएंगे। उसे बॉलिंग में काफी इंटरेस्ट आया। इसी साल ओलंपिक में बॉलिंग को शामिल किया गया तो स्टेट सलेक्शन में लेकर गए।
उसने अच्छा परफॉर्मेंस किया और नेशनल के लिए सलेक्ट हुई, जिसमें गोल्ड मिला। बिलासपुर में बॉलिंग करने के लिए कोई संसाधन नहीं है। इसलिए वो घर में वेट के साथ ही सोल्डर, रिस्ट, फिंगर को स्ट्रॉन्ग करने के लिए एक्सरसाइज करती थी। सिमरन बैंडमिंटन में भी नेशनल और इंटरनेशनल भी खेल चुकी है।
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