बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के पुलिस विभाग में चल रही रिश्वतखोरी का मामला इन दिनों सर चढ़ कर बोल रहा है। लगातार पुलिस विभाग में हो रही रिश्वतखोरी का मामला सोशल मीडिया के माध्यम से जमकर वायरल हो रहा है। कुछ ही दिन पहले सिविल लाइन थाना में पदस्थ महिला एएसआई संतरा चौहान चालान पेश करने के नाम से पाँच हजार रूपये रिश्वत मांगते न की कैमरे में कैद हुई थी बल्कि उनका वीडियो भी वायरल हुआ था इस मामले में पुलिस कप्तान रजनेश सिह के द्वारा तात्कालिक कार्यवाही करते हुए लाइन अटैच भी कर दिया गया।
जो मामला अभी भी सुर्खियों में बना हुआ था कि फिर एक मामला सिविल लाइन थाने का उजागर हुआ, जिसमें पुलिस के द्वारा पीड़ित को रात भर थाने में बैठाकर रखने और चार हजार रुपए लेकर सुबह छोड़ दिए जाने की बात कही जा रही है।
जो अभी लोगो के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी बीच रिश्वतखोरी का एक और मामला बिल्हा थाने से निकलकर सामने आया है। यहां पर देखने वाली बात हैं कि जिस प्रकार से लगातार रिश्वतखोरी के मामले उजागर हो रहे है। उसको देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि बिलासपुर जिले की थानों में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार जैसे क्रियाकलाप अपने चरम पर है। जिस पर रोक लगाने पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह को कड़ी कार्यवाही करने की आवश्यकता है।
आए दिनों सामने आ रहे ऐसे वीडियो से पुलिस महकमा लगातार बदनाम हो रहा है, कुछ रिश्वतखोर पुलिस कर्मियों की वजह से पूरे विभाग को बदनामी की मार झेलनी पड़ रही है। जिस पर लगाम लगाना पुलिस कप्तान रजनेश सिह के लिए चुनौती बन गया है ।
सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार यह मामला बिल्हा थाना से जुड़ा हुआ है। जिसमें प्रधान आरक्षक अनिल साहू द्वारा डायरी में दस्तावेज पूरा करने के लिए 5-10 हजार रुपये की मांग करते हुए दिख रहे हैं। साथ ही अवैध शराब परिवहन के मामले में जब्त वाहन को राजसात नहीं करने के एवज में 50 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं।
वीडियो में प्रार्थी के पक्ष से गए हुए व्यक्ति के द्वारा पकड़े गए वाहन को राजसात नहीं करने की बात पर प्रधान आरक्षक अनिल साहू द्वारा अश्लील शब्दों का प्रयोग करते धमकाते हुए यह कहा जा रहा है कि बाद वाला काम मैं नहीं करता, अब वो गाड़ी का कागजात नहीं देगा तो क्या वह मुझे नहीं मिलेगी, वहां गए हुए व्यक्ति ने कहा शायद यह उसके पिता के नाम पर है तब आरक्षक ने कहा उसके पिता के नाम पर नहीं किसी दूसरे के नाम पर है, अब तो मैं उसको भी आरोपी बनाऊंगा, कहां लगे हो तुम।
वहां गए व्यक्ति के द्वारा अभी की स्थिति पूछने पर प्रधान आरक्षक ने बोला कि जमानत के लिए निकला है, अभी मैं फोन करूंगा, वो पहुंचा होगा…जमा नहीं किया होगा… निकलवा दूंगा… कुछ पैसा भेजा हैं कि नहीं… कितना पूछने पर 5 से ₹10,000 की मांग की गई, साथ ही वाहन के राजसात के मामले में बचाने के लिए 50,000 हजार रुपए मांगे गए हैं।
जिसके बाद प्रार्थी के पक्ष से गए हुए व्यक्ति द्वारा बोला गया कि इतना पैसा कैसे लगेगा, उसके बाद भी ₹50,000 से कम नहीं करने की बात आरक्षक कहते रहे।
अब यहां देखने वाली बात यह होगी कि बिलासपुर पुलिस अधीक्षक इस विभाग की बिगड़ी हुई व्यवस्था में किस प्रकार से सुधार लाने के कड़े प्रयास करते हैं । जिससे बदनाम होते पुलिस महकमे को बचाया जा सके।