“डिजिटल की दुनिया” सहुलियत, बेरोजगारी  और भारत को बर्बाद करने का मास्टरस्ट्रोक।

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर/22 अक्टूबर 2024/ आज की तारीख में पूरी दुनिया मुफ्त में सहुलियत चाहता है और कम खर्चे पर ज्यादा कमाना चाहता है। और इसके लिए सभी ने सही और ग़लत दोनों तरीकों से डिजिटल की दुनिया को आंख मूंदकर अपना जरिया बना लिया है।

डिजिटल से फायदा और नुकसान

ज्यादा तर डिजिटल से फायदा दुसरे देशों को, अमीरों को या फिर सरकार को फायदा नजर आते हैं और इस डिजिटल की दुनिया में मिडिल और लोवर कैटिगरी के लोग या तो बेरोजगार हो रहे हैं या फिर पूरा बर्बाद।

आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन कौन से ऐसे डिजिटल ज़हर है जो भारतीयों को धीरे-धीरे तबाह कर रहा है।

सरकारी ऐप्स और वैबसाइट

आज की तारीख में केंद्र सरकार हो या फिर कोई भी राज्य सरकार सभी के सभी “सरकारी ऐप्स और वैबसाइट” के भरोसे काम चला रहे हैं और इन्हें जरा सा भी अंदाजा नहीं है कि इसके वजह से कितने युवा आज बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। अगर पहले जैसे सभी काम हाथों से होता तो आज देश का युवा वर्ग डिजिटल की दुनिया का शिकार नहीं हुआ होता।

आनलाइन बाजार
इस आनलाइन बाजार ने तो मानो छोटे व्यापारीयों को मानों जड़ से समाप्त करने का ठेका ही ले लिया है। आज हर व्यक्ति चाहता है कि आनलाइन बाजार से हि समान ले। और आनलाइन बाजार वाले आफर भी ऐसे देते हैं कि हर व्यक्ति आनलाइन बाजार का दिवाना बना बैठा है। लेकिन किसी को पता है कि आपके आनलाइन सामान लेने से कितने लोगों की दुकानदारी बंद हो गया है। क्या आपको पता है आनलाइन बाजार से आपके समान लेने से पूरा पैसा विदेशों में जा रहा है। आज के समय में मंहगाई और बेरोजगारी का यह भी सबसे बड़ा कारण है मगर लोग बेपरवाह होकर अपने देश को डिजिटल की दुनिया की सहुलियत के चक्कर में बर्बाद कर रहा है।

आनलाइन जुआ और अश्लील ऐप, वैबसाइट
क्या आपको पता है आज की तारीख में आनलाइन जुआ और अश्लील ऐप्स और वैबसाइट ने युवाओं को किस कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते लाखों ऐसे ऐप्स और वैबसाइट हैं जिनकी लत की वजह से हमारे देश में अपराध 50 गुणा अधिक हो गया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तो बात ही निराली है, 2 साल का बच्चा हो या 70 साल का बुजुर्ग उसे अपने माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदारों से कोई मतलब नहीं है उसे तो सिर्फ सोशल मीडिया से मतलब है। अगर कभी परिवार को थोड़ा टाइम दे भी दिया तो सोशल मीडिया की मदद से देंगे।
वैसे सोशल मीडिया पर पूरा लेख लिखा जाता मगर हमने सिर्फ यही टापिक लिया है जो आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण लगता है।

भारतीय संस्कृति और तिज – त्योहार

क्या लगता है आपको कितने लोगों को अपनी संस्कृति, परंपरा, तौर तरीके, तिज-त्योहार और बचपन की खेल याद होगा। जवाब, बहुत ही कम लोगों को। वजह सिर्फ और सिर्फ डिजिटल की दुनिया।

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