दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल में 13 साल पहले नक्सली मुठभेड़ में शहीद पुलिसकर्मी की पत्नी को संघर्ष के बाद आखिर न्याय मिल गया है। उन्हें बीमा कंपनी से अब क्लेम मिलेगा। क्लेम के तौर पर उन्हें पौने 6 लाख रुपए 6 फीसदी वार्षिक ब्याज के साथ दिए जाने का उपभोक्.पहला- वाहन पुलिस विभाग के कब्जे में था।
दूसरा- घटना के समय उस गाड़ी का निजी की जगह कमर्शियल उपयोग किया जा रहा था। गाड़ी नक्सलियों की मुठभेड़ में क्षतिग्रस्त हुई है। युद्ध आदि में उपयोग के लिए इस पैकेज का लाभ नहीं दिया जा सकता। तीसरा- घटना के समय जो चालक था, उसके नाम में भी शाब्दिक गलती हुई है।दरअसल, हमले में देवनाथ नागवंशी 2011 में शहीद हो गए थे। शहादत के साथ उनकी बोलेरो गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस वाहन का इंश्योरेंस कराया था।
शहीद की पत्नी ने जब क्लेम किया, तो बीमा कंपनी ने कई कारणों के साथ ये कहकर क्लेम देने से इनकार कर दिया था कि युद्ध का पैकेज उनकी पॉलिसी में शामिल नहीं है। तब देवनाथ की पत्नी ने उपभोक्ता फोरम में केस दायर किया।बीमा कंपनी का कहना था कि वह गाड़ी पुलिस विभाग के कब्जे में थी।
घटना के समय उस गाड़ी का निजी के बजाय कमर्शियल उपयोग किया जा रहा था। साथ ही गाड़ी नक्सलियों कीे मुठभेड़ में क्षतिग्रस्त हुई है। युद्ध आदि में उपयोग के लिए इस पैकेज का लाभ नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा बीमा कंपनी ने यह भी कहा कि घटना के समय जो ड्राइवर था, उन्होंने उसका नाम हमसे छिपाया था। इसलिए उन्होंने क्लेम खारिज कर दिया।
युद्ध में वाहन के उपयोग का तर्क देकर बीमा कंपनी द्वारा क्लेम खारिज करना गलतजब मामला जिला उपभोक्ता फोरम पहुंचा तो फोरम ने बीमा कंपनी का दावा खारिज किए जाने के तीनों कारणों को नकार दिया। फोरम का कहना था कि ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि गाड़ी का प्रयोग व्यावसायिक किया गया है। इस पर कंपनी ने बचाव में कहा कि वाहन का युद्ध में उपयोग किया, यह स्वीकार करने योग्य नहीं है।साथ ही ड्राइवर का नाम में भी शाब्दिक गलती हुई है।
इस आधार पर कंपनी का क्लेम खारिज करना गलत नहीं है। फोरम ने माना कि कंपनी ने क्लेम खारिज कर सेवा में कमी की है। इस आधार पर याचिकाकर्ता को गाड़ी के 5.75 लाख रुपए 6 फीसदी ब्याज के साथ बीमा कंपनी भुगतान करे। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को मानसिक कष्ट के लिए 10 हजार रुपए भी देने का आदेश दिया है।उपभोक्ता को नुकसान के आधार पर भी अब ई-फाइलिंग से घर बैठे कर सकते हैं केसउपभोक्ता के नुकसान के आधार पर भी शिकायत की जाती है।
अगर नुकसान 50 लाख से कम का है तो जिला फोरम में इसकी शिकायत की जा सकती है। 50 लाख से ऊपर और 2 करोड़ से कम का नुकसान होने पर राज्य आयोग पर शिकायत दर्ज करानी होती है।अगर नुकसान 2 करोड़ से ज्यादा है तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत दर्ज होती है।
वर्तमान में ऑनलाइन शॉपिंग में होने में धोखाधड़ी पर रोक लगाने ई-कॉमर्स रूल्स भी आए हैं। अब ई फाइलिंग भी शुरू हो गई है। कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी गांव या शहर में बैठकर ई-फाइलिंग से मामला दर्ज करा सकता है।
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