संत गहिरा गुरु यूनिवर्सिटी के हटाए जाएंगे कुलपति, पढ़े पूरी खबर

राजेन्द्र देवांगन
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कुलपति प्रो. अशोक सिंह को हटाने धारा 52 की अधिसूचना जारीसंत गहिरा गुरु यूनिवर्सिटी सरगुजा के कुलपति प्रो. अशोक सिंह की सारी शक्तियां छीन ली गई हैं।

राज्य सरकार ने धारा 52 की अधिसूचना का प्रकाशन कर दिया है। इस अधिसूचना के तहत अब कुलाधिपति और राज्यपाल की ओर से नए कुलपति की नियुक्ति होगी। प्रो. अशोक सिंह को.संत गहिरा गुरु यूनिवर्सिटी सरगुजा के कुलपति प्रो. अशोक सिंह दूसरे कुलपति हैं, जिन्हें धारा 52 के तहत हटाया जा रहा है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में 2020 में तत्कालीन कुलपति प्रो. रोहिणी प्रसाद को भी इसी प्रक्रिया के तहत पद से हटाया गया था।कुलपति का प्रभार तत्कालीन सरगुजा कमिश्नर को दिया गया था।

उनके बाद प्रो.अशोक सिंह को यहां का कुलपति नियुक्त किया गया था। प्रो अशोक सिंह का कार्यकाल अभी सात माह बचा हुआ है।कुलपति प्रो. अशोक सिंह को हटाने धारा 52 की अधिसूचना जारीकुलपति को हटाने की प्रक्रिया शुरूराज्य सरकार ने कार्यकाल पूरा होने के पूर्व कुलपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुलपति के रूप में प्रो. अशोक सिंह की नियुक्ति के बाद से ही यहां समन्वय की कमी और आंतरिक गुटबाजी के कारण वातावरण दूषित होने का आरोप लग रहे थे।छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद से कुलपति को हटाने की मांग शुरू हो गई थी।राज्य महिला आयोग में भी हुई थी शिकायतकुलपति प्रो. अशोक सिंह के विरूद्ध राज्य महिला आयोग में उनके विरुद्ध शिकायत हुई थी।

आयोग ने उक्त प्रकरण में नोटिस भी जारी किया था। कई अवसरों पर सार्वजनिक रूप से कुलपति के कामकाज को लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी ऐतराज जताया था। तत्कालीन कुलसचिव से उनका विवाद भी सार्वजनिक हो चुका था।जारी हुई धारा 52 की अधिूसचना राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से धारा 52 की अधिसूचना 03 अक्टूबर 2024 को राजपत्र में प्रकाशित कर दी है। इस अधिसूचना के साथ ही कुलपति की सारी शक्तियां छीन ली गई हैं।

नए कुलपति की नियुक्ति के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।इन आरोपों के आधार पर जारी हुई अधिसूचनासंत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा अंबिकापुर के कार्यकलापों में कुप्रशासन और अव्यवस्थाविश्वविद्यालय में आंतरिक विवाद, समन्वय के अभाव के कारण स्वस्थ शैक्षणिक और प्रशासनिक वातावरण का अभावजनसाधारण और छात्रों की दृष्टि में विश्वविद्यालय के प्रति विश्वसनीयता में गिरावटक्या है धारा 52 छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार है कि अगर उसे लगता है कि किसी विश्वविद्यालय में अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता या संचालन में लापरवाही हो रही है, तो वह उस विश्वविद्यालय के कुलपति को बर्खास्त कर सकती है।यदि राज्य सरकार को लगता है कि विश्वविद्यालय के प्रशासन को अधिनियम के प्रविधानों के अनुरूप चलाना संभव नहीं है, तो वह अधिनियम की धारा 13, 14, 23 से 25 के प्रविधानों को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर सकती है।अधिसूचना जारी होने बाद यह एक साल के लिए लागू रहती है। राज्य सरकार इसे अधिकतम तीन साल के लिए बढ़ा सकती है।

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