पितृ पक्ष के दौरान प्रतिदिन स्नान और ध्यान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें। यह तर्पण विधि आपके पूर्वजों को सम्मान और आशीर्वाद प्रदान करने के लिए की जाती है। तर्पण करते समय गायत्री मंत्र या पितृ मंत्र का उच्चारण करें, जो पितरों को तृप्त करने का उपाय है।
बिलासपुर। सनातन धर्म में पितरों को समर्पित पितृ पक्ष कल से प्रारंभ होगा। यह पावन समय 15 दिनों तक चलता है। इसका समापन पितृ अमावस्या के दिन होता है। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान, पुण्य और श्राद्ध कर्म करते हैं। संस्कारधानी में अरपा नदी का विशेष महत्व है। यहां तर्पण और श्राद्ध के साथ जल अर्पित करने लोग पहुंचते हैं। मान्यता है कि तर्पण से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं नहीं आती।
ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश तिवारी कहते हैं कि पितरों को समर्पित इन कर्मों से उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और व्यक्ति को जीवन में आने वाली कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि गलतियों से पितर नाराज हो सकते हैं। ऐसे में कुछ चीजें हैं जिन्हें दान नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष में बर्तन दान करना शुभ माना जाता है, लेकिन लोहे के बर्तन दान नहीं किए जाते। इसके बजाय सोने, चांदी या पीतल के बर्तन का दान करना चाहिए। लोहे का दान करने से पितर अप्रसन्न हो सकते हैं। इसके अलावा चमड़े से बनी वस्तुओं का भी उपयोग इस समय अशुभ माना जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में इन्हें दान नहीं करना चाहिए। श्राद्ध अनुष्ठानों में काले रंग से बचना चाहिए क्योंकि इसे पितरों के प्रति अनादर का प्रतीक माना जाता है।
पितरों को यह करें अर्पित
आचार्य वासुदेव शर्मा का कहना है कि पितरों को अर्पित किया जाने वाला भोजन शुद्ध व ताजा होना चाहिए। बचा हुआ या जूठा भोजन अर्पित करने से पितर नाराज हो जाते हैं। पितृ पक्ष के दौरान यदि कोई पक्षी या जानवर घर आता है, तो उसे भोजन अवश्य देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितर पशु-पक्षियों के रूप में आकर दर्शन देते हैं इसलिए उनका सम्मान करना आवश्यक है।
अरपा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
अरपा नदी का भी पितृ पक्ष में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस नदी के तट पर पूर्वजों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करना अत्यंत शुभ होता है। स्थानीय लोग अरपा के किनारे जाकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल अर्पित करते हैं। सदियों से अरपा नदी श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल रही है। जहां पितरों के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। पितृ पक्ष का यह समय जीवन में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का होता है।
Editor In Chief