कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर के मामले में 30 दिनों बाद भी कई सवालों के जवाब बाकी हैं। केस में कोलकाता पुलिस के सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को अरेस्ट किया गया है। मामले की जांच सीबीआई के पास है, लेकिन संजय रॉय के अलावा अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को वित्तीय अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया है। दूसरी ओर बंगाल की सड़कों पर अभी भी न्याय की मांग को लेकर जनता आंदोलित है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उनके ही सांसद ने मोर्चा खोल दिया है। लेकिन, सीबीआई की जांच को एक महीने होने के बाद भी कई सवालों के जवाब अनसुलझे हैं।
परिजनों को देर से जानकारी क्यों?
कोलकाता केस में सबसे बड़ा सवाल है कि अस्पताल प्रशासन ने पीड़िता के परिजनों को घटना की देर से जानकारी क्यों दी और उनसे झूठ क्यों बोला? दरअसल अस्पताल प्रशासन की ओर से पीड़िता के माता-पिता को यह सूचना दी गई थी कि उनकी बेटी की तबीयत ठीक नहीं है। जब परिजन अस्पताल पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी ने सुसाइड कर लिया है। परिजनों ने शव दिखाने के लिए कहा तो इंतजार करने के लिए बैठा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट पहले ही सहायक पुलिस अधीक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि मामले में एएसपी का आचरण बहुत संदिग्ध है।
अस्पताल में निर्माण क्यों करवाना चाहते थे पूर्व प्रिंसिपल
मामले की जांच में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष घटनास्थल के आसपास वाले कमरों में मरम्मत क्यों करवाना चाहते थे। दस्तावेजों से पता चलता है कि घटना के एक दिन बाद ही पूर्व प्रिंसिपल ने लोक निर्माण विभाग से मरम्मत की मांग की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक जहां महिला डॉक्टर से दरिंदगी हुई थी, उसके पास वाले कमरे को संदीप घोष तुड़वाना चाहते थे। ये कमरा सेमिनार हॉल के पास है। जहां पीड़िता के साथ संजय रॉय ने दरिंदगी की थी, 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल से पीड़िता का शव बरामद किया गया था।
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आखिर पैसे की पेशकश क्यों की गई
केस में पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने मुंह बंद रखने के लिए पैसे ऑफर किए थे। लेकिन परिवार ने इनकार कर दिया। परिवार ने उस अफसर का नाम भी सीबीआई को बता दिया है। परिजनों का सवाल है कि पुलिस पैसे क्यों देना चाहती थी, और किसे बचाना चाहती थी।
भीड़ कहां से आई थी, कौन थे हमलावर
घटना के बाद कोलकाता में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। कुछ ही दिन बाद 14 और 15 अगस्त की दरम्यानी रात को भीड़ ने अस्पताल पर हमला कर दिया। पुलिस मूकदर्शक की तरह देखती रही, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर भी पुलिस को फटकार लगाई थी, और अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ को सौंप दिया था। लेकिन इस सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है कि अस्पताल पर हमला करने वाले कौन थे?
संदीप घोष का ट्रांसफर क्यों किया गया
मामले में एक अहम सवाल यह है कि कोलकाता केस में घटना के बाद ममता सरकार ने पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का ट्रांसफर क्यों किया? क्या संदीप घोष को बचाया जा रहा था, या फिर ममता सरकार ने लापरवाही की। सीबीआई ने वित्तीय अनियमितता के मामले में संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन आरजी कर अस्पताल में पीड़िता की मौत के लिए कौन जिम्मेदार हैं? इसका जवाब मिलना अभी बाकी है।
दूसरी ओर टीएमसी के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने कोलकाता केस में राज्य सरकार पर लीपापोती को आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि घटना के बाद सड़कों पर उतरे जनाक्रोश को राज्य सरकार ने सही से हैंडल नहीं किया। सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ममता बनर्जी की शिथिलता पर भी सवाल उठाए और कहा कि नगरपालिका और पंचायत में स्थानीय नेताओं ने भ्रष्टाचार करके मोटा पैसा कमाया है। देखना होगा कि जवाहर सरकार के इस्तीफे के बाद ममता बनर्जी का अगला कदम क्या होता है?