छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) का संचालन वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष और दो अन्य सदस्यों के भरोसे हो रहा है।

राजेन्द्र देवांगन
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रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) का कामकाज कार्यकारी अध्यक्ष और दो सदस्यों के भरोसे ही चल रहा है। सेटअप के अनुसार सीजीपीएससी में अध्यक्ष समेत पांच सदस्य होने चाहिए। अभी यहां कार्यकारी अध्यक्ष समेत तीन सदस्य कार्यरत हैं। ऐसे में सीजीपीएससी पूर्ण सदस्यीय कब होगी, यह यक्ष प्रश्न सामने है। पिछली कांग्रेस की सरकार में सीजीपीएससी 2021 और असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा 2019 के कथित घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) कर रही है।

पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवन किशोर ध्रुव समेत अन्य अधिकारी संदेह के दायरे में हैं। परीक्षा की प्रक्रिया में अध्यक्ष सहित सदस्यों की भी अहम भूमिका रहती है। सीबीआई की जांच चल रही है पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नियुक्त हुए सदस्य, सहायक परीक्षा नियंत्रक व अन्य अधिकारी जस का तस जमे हुए हैं। राज्य सरकार ने पीएससी के रिक्त एक अध्यक्ष और दो सदस्य की नियुक्ति के लिए अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं की।

पहले से ही रहा बुरा हाल
सीजीपीएससी का गठन साल 2001-02 में किया गया था। पीएससी एक्ट के मुताबिक अध्यक्ष समेत पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया जाना होता है, बीते कुछ वर्षों में पीएससी पूर्ण सदस्यीय नहीं हो पाया। आयोग में हमेशा दो से तीन सदस्यों के स्थान रिक्त रखे गए।

अभी सदस्य ही कर रहे अध्यक्ष का काम

वर्तमान में पीएससी के सदस्य डा. प्रवीण वर्मा ही कामकाज संभाल रहे हैं। भूपेश सरकार में वर्मा 16 जुलाई 2021 को सदस्य बनाए गए थे। उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर कामकाज चलाया जा रहा है। दो अन्य सदस्यों में डा. सरिता उइके 24 जुलाई 2021 और संतकुमार नेताम पांच अक्टूबर 2023 को पीएससी के सदस्य नियुक्त किए गए थे।

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