छत्तीसगढ़ के अनोखे मंदिर में हनुमान जी क्यों स्त्री रूप में पूजे जाते हैं..Girijabandh Hanuman Mandir.. district Bilaspur- Chhattisgarh..!

राजेन्द्र देवांगन
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हनुमान जी ब्रह्मचारी थे तथा हमेशा स्त्रियों से दूर रहे परंतु छत्तीसगढ़ में हनुमान जी का एक अनोखा मंदिर है जहां हनुमान जी को पुरुष नहीं बल्कि स्त्री रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर बिलासपुर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर रतनपुर नामक गांव में है जहां श्रद्धालुओं द्वारा हनुमान जी की नारी प्रतिमा की पूजा होती है। इस मंदिर को गिरिजाबंध हनुमान मंदिर कहा जाता है तथा मंदिर के पास में ही एक विशाल महामाया देवी का मंदिर भी है।

यहां स्थित दक्षिण मुखी हनुमान जी की मूर्ति में पाताल लोक का चित्रण किया गया है तथा हनुमान के बाएं पैर में अहिरावण को कहराते हुए और दाएं पैर में कसाई को दबा दिखाया गया है । हनुमान जी के कंधों पर राम तथा लक्ष्मण बैठे हैं। व उनके एक हाथ में माला है तथा दूसरे हाथ में लड्डू से भरी थाली है।

हनुमान जी के इस मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जो भी यहां अपनी मनोकामना लेकर आता है उसे बजरंग बली अवश्य ही पूरी करते हैं।

यह मंदिर लगभग 10,000 साल पुराना है इसका निर्माण रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजु ने करवाया था। इस मंदिर के निर्माण को लेकर एक अनोखी कथा है।

एक बार राजा पृथ्वी देवजु का ध्यान अपनी शारीरिक अवस्था पर गया क्योंकि उन्हें कोढ़ का रोग था इसलिए अपनी इस बीमारी को लेकर वे हमेशा दुखी रहते थे। राजा ने अपने इस रोग से छुटकारा पाने के लिए अनेकों वैद्य को दिखाया परंतु कुछ लाभ नहीं हुआ।

उस दिन राजा अपनी इस दशा के बारे में सोचते हुए सो गया सपने में उन्होंने हनुमान जी की धुंधली परछाई देखी फिर उन्हें एक देवी दिखाई दी जो लंगूर में परिवर्तित हो गई परंतु उस लंगूर की पूछ रही थी । उनके एक हाथ में लड्डू से भरी थाली थी तथा दूसरे हाथ में राम मुद्रा अंकित थी उनके कानों में भव्य कुंडल शोभायमान थे व सर पर सुंदर मुकुट था।

उस स्त्री रूप में आए हनुमान जी ने राजा से कहा मैं तेरी भक्ति से प्रसन्न हूं और तेरा कष्ट निवारण करने के लिए आई हूं। तू एक मंदिर का निर्माण कर और उसमें मुझे स्थापित कर तथा मंदिर के पीछे एक तालाब खुदवा उस तालाब में स्नान करने से तुम्हें तुम्हारे कोढ़ के रोग से मुक्ति मिलेगी।

राजा ने सपने में कहीं बात के अनुसार एक मंदिर बनवाया पर समस्या उत्पन्न हुई कि मंदिर में मूर्ति कहां से आए तभी एक दिन राजा को फिर से सपना आया कि जिसमें देवी रूप में हनुमान जी ने बताया कि महामाया के कुंड में मेरी मूर्ति रखी है तुम उस कुंड में जाओ और वहां से मूर्ति लेकर मंदिर में स्थापित करो।

राजा अगले दिन कुंड में कुछ लोगों के साथ उस मूर्ति को ढूंढने उतरा तो उसे स्वप्न में हनुमान द्वारा बताई गई वहीं मूर्ति मिली इस तरह राजा ने वह मूर्ति मंदिर में स्थापित करी तथा उन्हें मंदिर के तालाब में नहाने से कोढ़ रोग से मुक्ति मिली।

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