बिलासपुर :- हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है. दरअसल हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण मामले में 2019 में जारी हुए राज्य सरकार के आदेश को पूरे तरीके से निरस्त कर दिया है. इसके पहले आदालत ने इसपर रोक लगाई थी. किंतु अब यह पूरी तरह निरस्त कर दिया गया है.
भूपेश बघेल ने 2019 में जारी की थी अधिसूचना
पूर्व सीएम भूपेश बघेल के शासनकाल में अधिसूचना जारी की गई थी. जिसमें वर्ग 1 से वर्ग 4 श्रेणी के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ देने की बात कही गई थी. इसमें अनुसूचित जाति (SC) को 13 फीसदी, जबकि अनुसूचित जन जाति (ST) को 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई थी.
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डबल बेंच ने सुनाया फैसला
इस मामले की सुनवाई Bilaspur High Court के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच ने की है. बेंच ने फैसला सुनाते हुए याचिका निराकृत कर दी है. याचिकाकर्ता संतोष कुमार की ओर से पेश वकील योगेश्वर शर्मा ने कोर्ट को बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोट ने अपने फैसले में कहा था पूर्ववर्ती सरकार ने आदेश को लागू करने में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देशों का पालन नहीं किया है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए हर विभाग से जातिगत डाटा एकत्रित कर केवल जिन्हें जरूरत है उन्हीं (SC/ST) ही कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाना चाहिए. जबकि डाटा कलेक्ट करने का काम पूर्ववर्ती सरकार ने नहीं किया. संविधान की धारा 14 एवं 16(4ए) एवं (4बी) के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है.
आदेश के बाद सरकार ने मानी थी अपनी गलती
2 दिसंबर 2019 को राज्य शासन ने स्वीकार किया कि अधिसूचना तैयार करने में गलती हुई है. कोर्ट (Bilaspur High Court) ने इस गलती को सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था. हालांकि इसपर सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया. जिसके बाद हाईकोर्ट (CG High Court) ने अधिसूचना पर रोक लगाते हुए और सरकार को नियमों के अनुसार दो महीने के भीतर फिर से नियम बनाने को कहा था.
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