कोरबा. डंपर के पिस्टन को सुधारते समय वॉल्व से अचानक जहरीली गैस का रिसाव हुआ और पिस्टन के टूकड़े फटकर अप्रेंटिस कर्मी के सीने पर जा गिरा। युवक की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। साथ में काम कर रहा दूसरा कर्मी घायल हो गया।
इधर अप्रेंटिस कर्मी की मौत के बाद दिनभर सैकड़ों कर्मी एनसीएच अस्पताल के सामने धरने पर बैठ गए। एक करोड़ मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग को लेकर पांच घंटे तक अस्पताल के बाहर हंगामा होता रहा। देरशाम 25 लाख मुआवजा और ठेका कंपनी में परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देेने के आश्वासन पर प्रदर्शन समाप्त हुआ।
एसईसीएल के गेवरा परियोजना में एक साल के लिए अप्रेंटिस के तौर पर सिखने आए कर्मी हीरालाल घृतलहरे बुधवार की सुबह डंपर का मेंटनेंस कर रहा था। दो लोग मिलकर डंपर का पिस्टन खोल रहे थे। दोनों की युवकों को इसकी जानकारी नहीं थी कि पिस्टन खोलते समय गैस का प्रेशर बनेगा। जैसे ही हीरालाल ने पिस्टन खोलने की कोशिश की उसी दौरान तेज आवाज के साथ पिस्टन फटकर बाहर आ गया और सीधे हीरालाल के सीने से जा टकराया।
इस दौरान गैस का भी रिसाव हुआ। डंपर का पिस्टन काफी भारीभरकम होता है। मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया। मौत की वजह जहरीली गैस के रिसाव होना बताया जा रहा है। साथ में काम कर रहा दूसरा युवक घायल हो गया। दोनों ही युवक को नेहरु शताब्दी अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों ने हीरालाल घृतलहरे को मृत घोषित कर दिया।
मौत के बाद खदान के सभी अप्रेंटिस युवक अस्पताल के बाहर जमा हो गए। देरशाम तक अस्पताल के बाहर प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है। एक करोड़ मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी नहीं मिलने के आश्वासन से नाराज युवक मृतक के शव को अस्पतालों से बाहर जाने नहीं दे रहे हैं।
नियमित कर्मियों के बजाए अप्रेंटिस से करवा रहे थे सुधार
करोड़ों का डंपर पिछले एक सप्ताह से खराब था। खराब होने पर मेंटनेंस के लिए नियमित कर्मियों के बजाए अधिकारियों ने अप्रेंटिस कर्मियों को सौंप दिया। जिन्हें इस भारी भरकम डंपर की बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी। गेवरा खदान में करीब 650 अप्रेंटिस कर्मी काम कर रहे हैं। साथी कर्मियों ने बताया कि हर विभाग में अप्रेंटिस कर्मियों से ही हैवी काम लिया जाता है।
300 से अधिक अप्रेेटिस करने वाले युवक बैठे धरने पर
जैसे ही हीरालाल की मौत की खबर सामने आई। गेवरा व दीपका खदान में अप्रेंटिस युवक लगभग तीन सौ से अधिक संख्या में अस्पताल के बाहर बैठ गए। प्रबंधन से दो बार की वार्ता हुई। कॉलरी मैनेजर और एरिया मैनेजर मृतक के परिवार को अधिकतम 25 लाख मुआवजा देने की बात कह रहे हैं, लेकिन अप्रेंटिस संघ 1 करोड़ मुआवजा और नौकरी की मांग पर अड़ा हुआ है।
डीजीएमएस की टीम की रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई
किसकी लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ। इसकी पड़ताल के लिए गुरुवार को डीजीएमएस की टीम गेवरा खदान पहुंचेगी। घटनास्थल को सील कर दिया गया है। टीम की रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्रवाई होगी। हालांकि लगातार खदानों में हादसे हो रहे हैं। इससे पहले कुसमुंडा खदान में आग बुझा रहे कर्मी की मौत हो गई थी।
सिखाने के बजाए कराते हैं काम, सुरक्षा के भी उपाय नहीं
अप्रेंटिस संघ का कहना है कि खदानों में काम करने वाले युवकों को एक साल तक सिर्फ काम सिखाना होता है। अलग-अलग विभागों में अधिकारियों के अधीन इन्हें रखा जाता है, लेकिन सिखाना तो दूर सीधे काम करवाया जा रहा है। साथ ही सुरक्षा के मानक का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। मौके पर वरिष्ठ अधिकारी भी नहीं होते, जो कि गाइड कर सके।
दो छोटे बच्चे, परिवार में शोक की लहर
मृतक हीरालाल बिलासपुर जिले के तखतपुर का रहने वाला है। कोरबा में पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था। एक आठ साल और एक आठ महीने का बच्चा है। घटना की सूचना घर पर पहुंचते ही परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। देरशाम मृतक का शव तखतपुर के लिए रवाना किया गया।
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