CAA का ओवैसी ने किया विरोध, बोले- धर्म आधारित कानून को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए…!
पूरे देश में सीएए (CAA) लागू हो गया है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2024 की अधिसूचना जारी कर दी. गृह मंत्रालय ने 11 मार्च, सोमवार को इसके नियम जारी किए. इस कानून में संशोधन को चार साल पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी. लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था. अब चुनाव से ठीक पहले इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
केंद्र सरकार के फैसले पर विपक्षी नेताओं के रिएक्शन लगातार आ रहे हैं. विपक्षी दल सरकार के फैसले की टाइमिंग पर सवाल उठाए रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमी चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी CAA को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएए पर बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि चार साल पहले मोदी सरकार जो कुछ भी लेकर आई, वह गलत है. AIMIM चीफ ओवैसी ने कहा कि धर्म के आधार पर कानून लाने को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए.
ओवैसी ने कहा सवाल उठाते हुए कहा कि भारत में केवल 5% लोग ही ऐसे हैं जिनके पास पासपोर्ट है. आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है. जब एनआरसी और एनपीआर के लिए बायोमेट्रिक होगा, तब क्या होगा? ओवैसी ने CAA को असंवैधानिक कहते हुए कहा, मैं यह समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि आपको CAA को अकेले नहीं देखना चाहिए. इसके साथ एनपीआर और एनआरसी को जोड़कर देखा जाना चाहिए.
ओवैसी ने आगे कहा कि हैदराबाद के लोग इस चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएंगे और लोग सीएए और भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे. धर्म के आधार पर बनाया गया यह कानून समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. असम में एनपीआर एनआरसी हो चुका है. ओवैसी ने असम का हवाला देते हुए कहा कि वहां एनपीआर-एनआरसी नागरिकता कानून का हिस्सा है. आप एक को दूसरे से कैसे निकाल सकते हैं?
ओवैसी ने गृह मंत्री अमित शाह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने मेरा नाम लेते हुए बताया था कि एनपीआर और (एनआरसी) को कैसे लाया जाएगा. ओवैसी ने कहा कि सिर्फ सीएए को ही न देखें. एनपीआर और एनआरसी को इससे जोड़कर देखा जाना चाहिए. AIMIM चीफ ने कहा कि सीएए के बाद एनपीआर और एनआरसी को भी लाया जाएगा. इसका असर अल्पसंख्यकों पर पड़ेगा.