असम विधानसभा ने संकल्प पर पहली बार मतपत्र के जरिये कराया मतदान”पढ़ें पूरी खबर…!
असम विधानसभा में बजट सत्र चल रहा है. विधानसभा में सिंचाई से जुड़े एक गैर सरकारी संकल्प को लेकर नाटकीय माहौल बन गया. यह प्रस्ताव निर्दलीय विधायक और रायजोर दल के अध्यक्ष अखिल गोगोई ने रखा था. जब अखिल गोगोई ने असम विधान सभा आचरण और व्यवसाय अधिनियम के नियम 115 के तहत प्रस्ताव उठाया तो सभी विपक्षी विधायक सदन में मौजूद थे. लेकिन सत्ता पक्ष के अधिकांश विधायक अस्थायी जलपान के लिए सदन से बाहर थे. जैसे ही विपक्षी विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, उन्होंने इसे वोट से पारित करने की मांग की.
असम विधानसभा ने अपने इतिहास में पहली बार एक संकल्प पर मतपत्र के जरिये मतदान कराया गया. निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई की ओर से लाए गए निजी संकल्प को लेकर यह मतदान कराया गया. हालांकि, सिंचाई व्यवस्था से संबंधित यह प्रस्ताव नौ वोट के अंतर से खारिज हो गया. भाजपा नीत गठबंधन के 77 विधायकों में से 39 वोट सरकार को मिले. दूसरी ओर, 47 विपक्षी विधायकों में से 30 ने संकल्प के पक्ष में वोट दिया जिसमें कांग्रेस के पांच विधायक शामिल हैं.
इससे पहले, संकल्प को ध्वनिमत के लिए रखा गया और विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने कहा कि संकल्प खारिज हो गया है. हालांकि, गोगोई और नेता विपक्ष देबब्रत सैकिया सहित अन्य विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल के पास ध्वनिमत के दौरान पर्याप्त संख्या नहीं थी. उन्होंने उचित मतदान की मांग की. इसके बाद, अध्यक्ष ने यह कहते हुए सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया कि मतदान होगा और विधानसभा सचिवालय को प्रस्ताव पर मतदान की तैयारी के लिए समय की आवश्यकता होगी.
सदन 30 मिनट बाद फिर से शुरू हुआ. इस आधे घंटे के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दिगंता कलिता एक कागज पर सत्ता पक्ष के सदस्यों की गिनती करते दिखे. गोगोई भी लगभग हर सदस्य के पास हाथ जोड़कर जाते दिखे. जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष के सदस्यों की अधिक संख्या के साथ एक बार फिर ध्वनिमत से मतदान कराया और प्रस्ताव के खारिज होने की घोषणा की. लेकिन पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया और कहा कि दैमारी ने पहले ही मतदान की घोषणा कर दी थी. निर्णय में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.
इसके बाद, विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी मांग स्वीकार कर ली. उन्होंने सदन के दरवाजे बंद करने का आदेश दिया और विधानसभा के प्रधान सचिव हेमेन दास को मतदान कराने के लिए कहा. इसके बाद दास ने विधायकों को मतदान की प्रक्रिया समझाई. तदनुसार, सदन के कर्मियों ने प्रत्येक सदस्य को मतपत्र वितरित किए, जिन्होंने अपनी पसंद पर निशान लगाया और उसे मतपेटी में डाल दिया. कांग्रेस विधायक दल के उपनेता रकीबुल हुसैन ने अध्यक्ष से अपील की कि दलबदल रोधी कानून के मुताबिक दलों के मुख्य सचेतकों को अपने विधायकों के वोट देखने की इजाजत दी जाए.
इसके तुरंत बाद, कांग्रेस विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ और बसंत दास, जिन्होंने हाल में पार्टी छोड़े बिना ‘सरकार का समर्थन’ करने की घोषणा की थी, मतदान के दौरान चुपचाप सदन से बाहर चले गए. प्रधान सचिव और उनके सहयोगियों ने सदन के अंदर मतों की गिनती की और परिणाम अध्यक्ष को सौंपा.
दैमारी ने कहा कि परिणाम के अनुसार, संकल्प के पक्ष में 30 और विरोध में 39 मत मिले हैं, इसलिए यह खारिज हुआ. प्रस्ताव में हर समय खेतों में पानी की आपूर्ति करके असम को 12 महीने की खेती वाला राज्य बनाने की मांग की गई थी. असम विधानसभा के तीन सेवानिवृत्त प्रधान सचिवों ने बताया कि अब तक ऐसी कोई नौबत नहीं आई थी जब सरकारी या किसी निजी संकल्प को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का निर्णय लेने के लिए मतपत्र के जरिये मतदान कराया गया हो.
आधिकारिक तौर पर 126 सदस्यीय असम विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या 61 है, जबकि उसकी सहयोगी यूपीपीएल के सात और अगप के नौ विधायक हैं. विपक्षी खेमे में कांग्रेस के पास 27, एआईयूडीएफ के 15, बीपीएफ के तीन और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक विधायक है. सदन में एक निर्दलीय विधायक भी हैं.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि अध्यक्ष ने आज सदन को दस मिनट के लिए स्थगित नहीं किया होता और तत्काल मतदान की व्यवस्था नहीं की होती, तो सरकार वोट हार सकती थी. लेकिन यह बात किसी को समझ नहीं आ रही है कि स्पीकर बिस्वजीत दैमारी ने सरकार बचाने के लिए सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी.
हालांकि, यदि यह प्रस्ताव आज पारित हो जाता तो असम के संसदीय इतिहास में यह एक अभूतपूर्व घटना होती. विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि आज के दिन विपक्ष ने एकजुट होकर काम किया है. विपक्ष का एक भी वोट नहीं गया. यह पहली बार है, जब विपक्ष को इतने वोट मिले हैं.
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