छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र के 11वें दिन डीएमएफ काम में “परसेंट” पर नोंक झोंक..!
रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र 2024 के 11वें दिन सदन में पहला सवाल विधायक लखेश्वर बघेल ने पूछा “बस्तर में सिंचाई से जुड़े 4 करोड़ 61 लाखों के 5 कामों को कलेक्टर ने 2 जनवरी 2024 को निरस्त क्यों किया? इस पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने जवाब दिया. चौधरी ने कहा कि “शासी परिषद में अनुमोदन के बाद ही कलेक्टर किसी भी काम को निरस्त कर सकते हैं. बिना अनुमोदन किसी काम को निरस्त नहीं किया जा सकता.” इस पर विधायक धरमजीत सिंह ने कहा-“कलेक्टर डीएमएफ के अध्यक्ष होते हैं. किसी भी काम को लेकर अध्यक्ष डीएमएफ के सदस्यों के साथ काम की उपयोगिता को लेकर बैठक करते हैं इसके बाद सदस्य इस पर निर्णय लेते हैं.”
कांग्रेस विधायक द्वाराकाधीश यादव ने दूसरा सवाल पूछा “शासी परिषद में जब एक्शन प्लान पारित होगा तो कितना प्रतिशत सदस्यों का सुझाव शामिल होगा और कलेक्टर का कितना प्रतिशत होगा? इस पर ओपी चौधरी ने जवाब देते हुए कहा “हमारी सरकार में प्रतिशत नहीं चलता.” धरमजीत सिंह ने कहा कि “ये 15 परसेंट का चक्कर है.” इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा- क्या अब परसेंट चलेगा. विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि परसेंट का मामला पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. चौधरी ने कहा कि विधायक की मंशा को हम समझ रहे हैं. शासी परिषद एक सामूहिक निर्णय लेती है. इससे सदस्यों का प्रतिशत या कलेक्टर का प्रतिशत नहीं होता.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा
मेरा जिला सक्ती है. कोरबा लोकसभा क्षेत्र में मेरी पत्नी ज्योत्सना महंत आती है. वहां के कलेक्टर ने फोन कर कहा कि 1 करोड़ का प्रस्ताव भेज दीजिए. प्रतिशत का मतलब है कि विधायक, सांसद, सदस्यों के लिए कितना काम देंगे इसका प्रतिशत तय किया है. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि “आप पत्नी की चिंता कर रहे हैं या सांसदों की चिंता कर रहे हैं.”
महंत ने फिर कहा आप 5 साल की जांच कराइए हम 15 साल की कराएंगे- रमन सिंह ने आदिम जाति विकास मंत्री राम विचार नेताम को शासकीय परिषद के मामले में सुझाव देने को कहा- नेताम ने कहा शासी परिषद के पहले प्रभारी मंत्री हुआ करते थे. पिछली सरकार में प्रभारी मंत्री ने डीएमएफ में ऐसा खेल खेला कि हमने इसकी शिकायत केंद्र को की और कार्रवाई की मांग की. पहले जो गड़बड़ी हुई है उसकी निष्पक्षता से जांच हो. चरण दास महंत ने बीच में टोकते हुए कहा कि मंत्रियों को अपने विधायकों और सांसदों से ज्यादा विश्वास कलेक्टर पर है तो कुछ नहीं कहना है. कलेक्टर व्यवहारिक रूप से जिसे जितना देना है उसे दे दें. आप 5 साल की जांच कराए तो हम 15 साल की जांच कराएंगे.
राइस मिलर्स के चावल के उठाव नहीं करने पर सवाल: विधायक चातुरी नंद ने सवाल पूछा “साल 2020-21 में 36 राइस मिलर्स और 2021-22 में 63 राइस मिलर्स ने 2022-23 में 34 राइस मिलर्स ने धान उठाव के बाद अनुपातिक रूप से चावल जमा नहीं किया. तीन साल में कितना चावल जमा नहीं किया गया. इस पर मिलर्स पर क्या कार्रवाई होगी ?
इस सवाल के जवाब में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने जवाब दिया “2020-21 में 7.44 टन 36 राइस मिलर्स ने 2 लाख 63 हजार रुपये, 2021-22 में 1.40 टन जिसकी कीमत 48 हजार, 2022-23 में 34 राइस मिलर्स से 1.12 टन जिसकी कीमत 48 हजार रुपये थी. राइस मिलर्स पर कार्रवाई की है. बिल की राशि से वसूली कार्रवाई की गई है.”
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