अकलतरा का सट्टा बाजार पूरी तरह आइटी ईडी और पुलिस सुरक्षित है
अकलतरा का सट्टा बाजार गर्म है और इसमें लालच की रोटी सेकी जा रही है । यह बात अलहदा है कि इस गर्म चूल्हे पर सेकी जानी वाली रोटी केवल एक व्यक्ति खा रहा है बाकी लोग केवल रोटियां सेक रहे हैं । आज के राजनीतिक हालात और सामाजिक हालात को देखकर प्रगतिवादी कवि सुदामा पांडे धूमिल की कविता याद आती है –
एक आदमी रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी सेकता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक और आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है न रोटी सेकता है और न रोटी खाता है
वह केवल रोटी से खेलता है ।
आज सट्टा बाजार का वह युवा व्यवसायी भी केवल रोटियों से खेल रहा है । हालांकि धूमिल जी ने यह पंक्तियां उन कुटिल राजनीतिज्ञो के लिए कहीं थी परंतु जनता की रोटियों से खेलने वाले कुटिल राजनीतिज्ञो और आम जनता से रोटियों का निवाला भी सट्टा में छीनने वाले ये सट्टा कारोबारी मौसेरे भाई है क्योंकि इन दोनों ही कुटिल जीवों का साधन और साध्य धन के पद पाना ही है ।
सट्टा के जानकारों की मानें तो एक सट्टा कारोबारी एक दिन में पांच से दस लाख एक अकेले अकलतरा क्षेत्र से कमा रहा है और एक आइपीएल मैच में इसकी कमाई पांच करोड़ तक पहुंच जाती है । बताया जा रहा है कि इस सट्टे के धंधे में जल्दी धन कमाने के लालच में कुछ पढ़े-लिखे किसानों ने भी बोली लगाकर खेत और बीवियों के गहने भी बेच डाले हैं । इसके पूर्व लिखे लेख में मैंने संदेह जताया था कि युवाओं द्वारा की गई आत्महत्या में सट्टे के सूत्र भी हो सकते हैं । लगभग दो माह पूर्व कोरबा से बहकर आयी लाश अकलतरा के बरबसपुर नहर में मिली पूछताछ के दौरान पता चला कि मृत युवक की लगभग पचास लाख की संपत्ति है और पिता के न रहने पर बड़े ताऊ ने फर्नीचर की दुकान खोल दी थी परंतु इसके बावजूद उसने किसी से दस हजार रुपए उधार लिए थे एक फर्नीचर व्यापारी का उधार लेना आश्चर्य का विषय नहीं है परंतु जिस आदमी से लिये गये और न लौटाने पर गाड़ी रखने की धमकी दी गई वह आश्चर्य का विषय है और हो सकता है ये सूत्र आगे जाकर सट्टे से मिले और न ही मिले । फिलहाल यह एक उदाहरण है लेकिन युवाओं द्वारा की जा रही आत्महत्या किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रही है जिसे माता-पिता समझ नहीं रहे हैं और पुलिस जहां तक हो सके इसे दूर्घटना मानकर दूर ही रहती है । सट्टा का कारोबार अनवरत जारी है और बिना अवरोध आये अवैध धंधे चलते हैं तो यकीनन सट्टे के धंधे ने आम लोगों को भले ही लूटा हो पर कुछ खास लोगों की जेबें जरूर भरी है… क्रमशः
आगे कल …..
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