आइलैंड’ के नाम से मशहूर है ‘मदकू द्वीप…जिसे देखकर खुली की खुली रह जाएंगी आपकी आंखें… द्वीप के बारे में जाने रोचक तथ्य…!
शिवनाथ नदी के प्रवाह से सदृश्य चारो ओर फैला मदकू द्वीप महत्वपूर्ण ऐतिहासिक एवं धार्मिकछत्तीसगढ़ का पर्यटन स्थल है। यह द्वीप पौराणिक महत्व को अपने आप में संजोये हुये है। शिवनाथ नदी की धारा के मध्य स्थित लगभग 24 हेक्टेयर के क्षेत्र में विस्तृत यह पर्वताकर संरचना एक द्वीप के समान दिखाई देता है। यह छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली जिला में शिवनाथ नदी पर स्थित है।
मदकू द्वीप की आकृति एक विशाल आकर के मंडूक के समान है, यह माण्डूक्य ऋषि की तपो भूमि भी है। इसकी विशिष्ट भोगोलिक संरचना, प्राकृतिक सौन्दर्य, पारम्परिक आस्था एवं आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण यह विख्यात है तथा पर्यटको के लिए रोचक भ्रमण स्थल है। मदकू द्वीप रायपुर – बिलासपुर राजमार्ग पर स्थित बैतलपुर से 4 कि. मी. की दूरी पर तथा तालागाँवसे लगभग 15 कि.मी. कि दूरी पर स्थित है।
प्रागैतिहासिक काल में शिवनाथ नदी के तटवर्ती क्षेत्र में आदिमानवों के संचरण के प्रमाण मिले हैं। पुरातात्विक उत्खनन के दौरान मदकू द्वीप के आसपास मध्य युगीन पाषाण के औजार भी प्राप्त हुये है। ऐसा कहा जा सकता है की वर्षों पहले यहां आदि मानवों की आवास स्थली रही होगी।
इस स्थल की ऐतिहासिक काल पर प्रकाश डालने वाले विवरणो में इंडियन इपीग्राफी वर्ष 1959-60 के प्रतिवेदन में मदकू घाट से प्राप्त दो शिलालेखों का उल्लेख है। इनमे एक तीसरी सदी ईस्वी का ब्राम्ही अभिलेख है जिसमे अक्षय निधि का उल्लेख है। दूसरा शिलालेख शंख लिपि में है। शिवनाथ नदी के तटवर्ती स्थलो से अनेक ऐतिहासिक महत्व के प्राचीन राजवंशो के सिक्के, अभिलेख, मिट्टी के प्राकार, गढ़ एवं मंदिरो के भग्नावशेष प्राप्त हुये है।
मदकू द्वीप की धार्मिक मान्यता प्राचीन काल से चली आ रही है। पौराणिक मान्यतानुसार यह स्थल हरिहर क्षेत्र केदार द्वीप के नाम से प्रसिद्ध है। बारिश के मौसम में यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनती है। प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही तालागाँव में जहां सातवीं सदी की अद्भुत रुद्र शिव की प्रतिमा विराजित है, वहीं मदकू द्वीप में साक्षात केदार तीर्थ का दर्शन होता है।
मदकू द्वीप को आदिकाल से इसलिए पवित्र माना जाता है क्योकि शिवनाथ नदी कि धाराये ईशान कोण में बहती है और यह दिशा वास्तु शास्त्र अनुसार सबसे पवित्र दिशा मानी जाती है। यहाँ ऐतिहासिक काल के शिवलिंग, नंदी, गणेश एवं अन्य भग्नावशेषो मंदिरो से मदकू द्वीप की प्राचीनता का आभास होता है।
मदकू द्वीप में स्नान से केदार तीर्थ का पुण्य मिलता है
मदकू द्वीप के दर्शनीय देवालयो में राधाकृष्ण मंदिर, शिव मंदिर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में निर्मित है। इस स्थल के मुख्य आराध्य शिवलिंग, धूमनाथ के नाम से एवं विष्णु कृष्ण के रूप में पूजित होती है। शिवनाथ नदी के मध्य में स्थित मदकू द्वीप में मान्यतानुसार स्नान करने से केदार तीर्थ का पुण्य मिलता है।
मदकू द्वीप में उत्खनन पश्चात प्राचीन स्थापत्य कला के भग्नावशेष विशेष रूप से दर्शनीय है। उत्खनन से यहाँ पर एक ही जगती पर उत्तर से दक्षिण दिशा की सीध में कुल 19 मंदिर निकले है जिन्हे संरक्षित किया गया है। इनमे से एक मंदिर पश्चिमाभिमुखी है तथा 18 मंदिर पुर्वभिमुखी है।
इन मंदिरों की निर्माण की शैली एक ही प्रकार की है उत्खनन से प्राप्त कलचुरी शासक प्रताप मल्लदेव का ताम्र सिक्का, प्रतिमाये एवं शिवलिंग विशेष महत्वपूर्ण है। एक ही वेदी पर संयुक्त रूप से निर्मित पांच शिवलिंग शैव परम्परा का प्रतीक दिखाई पड़ता है। इन्हे देखकर लगता है की पूर्व काल में भीषण बाढ़ के कारण मदकू द्वीप स्थित मंदिर ढहते गये और धीरे – धीरे भूसतह से 1.5 मीटर के जमाव में धस गये। उत्खनन पश्चात मदकू द्वीप के प्राचीन इतिहास का रहस्य प्रकट हुआ है
यह ईसाइयो और हिन्दुओ का पवित्र स्थल है। यहाँ आयोजित होने वाले पर्व एवं उत्सव श्रद्धालुओ तथा पर्यटकों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, साथ ही साथ आस्था ,सहयोग और भाईचारा की भावना को विकसित करते है। पौष पूर्णिमा (छेर-छेरा पुन्नी) के समय यहाँ सात दिनो तक और शिवरात्रि (फाल्गुन अमावस्या) एवं हनुमान जयंती (चैत्र पुर्णिमा) के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है।
इसाई धर्मागूरुओ दवारा आयोजित मेला प्रतिवर्ष 10 से 18 फरवरी के मध्य लगता है। इसके द्वीप नुमा भोगोलिक आकृति के साथ शिवनाथ नदी की अगाध जलधारा, विस्तृत लहलहाते खेत एवं भू–दृश्य सूर्यास्त की छवि और शांत वातावरण पर्यटको का मन मोह लेते है। यह जल विहार एवं नौका विहार के लिए यह उपयुक्त स्थल है। यहाँ पर शिवनाथ नदी की धारा आपस में मिलने के बाद थम जाती है।
शिवनाथ नदी के मध्य में स्थित मदकू द्वीप इतिहास, पुरातत्व और संस्कृति के विभिन्न आयामो से जुडा हुआ विशिष्ट पर्यटन स्थल है।
कैसे पहुंचे मदकू द्वीप
वायुमार्ग – स्वामी विवेकानंद एअरपोर्ट (माना विमानतल) रायपुर देश के सभी प्रमुख शहरो के साथ हवाई यात्रा से जुड़ा हुआ है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, नागपुर से रायपुर के लिए नियमित विमान सेवा उपलब्ध है |
रेलमार्ग – हावड़ा मुंबई मुख्य रेलमार्ग पर स्थित बिलासपुर, भाटापारा एवं रायपुर समीपस्थ रेल स्टेशन है |
सड़क मार्ग – रायपुर से बिलासपुर की ओर जाने वाले मुख्य राजमार्ग पर स्थित बैतालपुर से मद्कुद्विप की दुरी 4 की.मी. है। रायपुर से बैलतपुर 75 कि.मी. एवं बिलासपुर से 37 कि.मी. की दुरी पर स्थित है। इस मार्ग पर निरंतर बस एवं टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
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