छोटेबेटिया से ताड़वायली सड़क का जायजा लेने पहुंचे एसपी शलभ सिन्हा
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा जो नक्सल गढ़ मानी जाती है वहां तमाम विरोधों के बावजूद सात सालों में 35 किमी लंबी सड़क बनकर तैयार हो गई है। सात मीटर चौड़ी इस सड़क के बन जाने से इन गांव तक पहुंच आसान हो जाएगी। सड़क के माध्यम से इन गांवों तक विकास कार्य पहुंचाने में मदद मिलेगी तथा धीरे धीरे यहां के गांव भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे।
एलडब्ल्यूई (लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज्म) प्रोजेक्ट के तहत सड़क छोटेबेटिया से पीवी-95, पीवी-96 ताड़वायली होते हुए 3 किमी महाराष्ट्र सीमा तक पहुंच गई है। कांकेर जिले का यह इलाका सीधे महाराष्ट्र से जुड़ गया है। सड़क निर्माण का कार्य 2015 से बंद पड़ा था। नक्सल अवरोध के कारण पाटिल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बीच मे काम अधूरा छोड़ दिया था। ग्रामीण इस सड़क को बनाने की मांग कर रहे थे। दोबारा सड़क निर्माण काम चालू हुआ।
अप्रैल 2020 तक कार्य पूर्ण हो जाना था लेकिन यहां के विपरीत हालातों के चलते देरी हुई। फोर्स व पुलिस की सुरक्षा के बीच सड़क निर्माण कार्य बीच-बीच में रुकता तो कभी चलता। आखिरकार अब सड़क बनकर तैयार हो चुकी है। लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री कांकेर पवन कुमार अग्रवाल ने कहा जनता के लिए समर्पित लोक निर्माण विभाग ने एक बड़ी सौगात अंदरूनी गांव के रहवासियों के लिए इस सड़क के रूप में दी है। दर्जन भर गांवों को इसका फायदा मिल रहा है।
नवनिर्मित सड़क का जायजा लेने निकले
रविवार को पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा छोटेबेटिया से ताड़वायली होते महाराष्ट्र सीमा तक बनकर तैयार इस सड़क का जायजा लेने पहुंचे। कहा सड़क बन जाने से अंदरूनी गांव तक विकास पहुंचाने में मदद मिलती है। इसलिए सुरक्षा दी जाती है। एसपी के साथ एएसपी धीरेंद्र पटेल, एसडीओपी रवि कुजूर, टीआई पखांजूर मोरध्वज देशमुख भी पहुंचे थे।
ग्रामीण बोले- अब हम होंगे आत्मनिर्भर
इस मार्ग पर बसने वाले ग्रामीणों में सड़क बन जाने से काफी उम्मीदें जगी हैं। अधिकतर बड़े पुल-पुलियों के बन जाने से ग्रामीण राहत महसूस कर रहें है। ग्रामीणों ने बताया कि सुविधाओं और बुनियादी जरूरतों को लेकर यह क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है। सड़क बन जाने से गांव तक विकास पहुंचेगा और अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इससे ग्रामीण आत्मनिर्भर हो सकेंगे।
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