राहुल की सुखद और सकुशल वापसी के बाद वर्ष जमकर बरस कर अपनी खुशी जताई ऐसा लगता है मानो पांच दिनों तक अपने थमें आंसू अब जीभरकर खुशी से बहा रहे हो

राजेन्द्र देवांगन
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राहुल की सुखद और सकुशल वापसी के बाद वर्ष जमकर बरस कर अपनी खुशी जताई ऐसा लगता है मानो पांच दिनों तक अपने थमें आंसू अब जीभरकर खुशी से बहा रहे हो

(जांजगीर-चांपा:-संवाददाता सीता टंडन)

राहूल 105 घंटे तक मौत को छकाता रहा । मौत ने हार मान ली और अपनी पराजय स्वीकार कर चला गया । ठीक 11.56 में राहूल को बाहर निकाला गया और परीक्षण के बाद आक्सीजन लगाकर पिहरीद से मालखरौदा बाराद्वार पीथमपुर जांजगीर चांपा होते हुए बिलासपुर ले जाया गया राहूल के माता-पिता और परिवार के साथ पिहरीद वासी और पूरा देश खुशियां मना रहा है .पिहरीद मे तो पटाखे फोड़े जा रहे है । आखिर पिहरीद के घरो मे वीरानी छायी थी जो अब दूर हो गयी । यह तो पिहरीद की उर्वरा धरती ही है जिसने दीपक भारद्वाज जैसा धरती का लाल पैदा किया जिसने नक्सलियों से लड़ते हुए शहादत पायी तो वही रुपेंद्र जाटवर जैसे दृढ इरादे वाले युवा भी है जिसने पाकिस्तान की लाहौर जेल में छह साल काटकर सकुशल वापसी की । *राहूल की सुखद और सकुशल वापसी के बाद वर्षा जमकर बरस कर अपनी खुशी जताई ऐसा लगता है मानो पांच दिन तक अपने थमें आंसू अब जीभरकर खुशी से बहा रही हो* बताया जा रहा है कि राहूल के साथ एक मेढ़क और एक सांप भी था जिसने राहूल को डराने के बजाय उसके मनोरंजन के दोस्त बने । परिस्थिति की यही मांग थी । हम भारतवासी भी विचित्र प्राणी है जो हर बात पर लड़ते है , जात-पांत पर लड़ते , किसी की तरक्की से भी जलते है , धर्म पर बहस भी करते , खुद को श्रेष्ठ भी समझते है पर जब कभी मानवता पर संकट पड़ा न जाने किस धागे से एक हो गये , चाहे वह कोरोना का संकट हो या जीवन का । देश पर संकट आये तो सब भूलकर एक हो जाते है यह कहकर कि इतनी लडाई तो चलती है । जब हम राहूल के लिए इतनी शिद्दत से प्रार्थना कर सकते है तो अपने देश.और समाज के लिए इतनी शिद्दत और चाहत बनती है । हमारी सरकार ने भी अपने सारे संसाधन , सारी उर्जा लगा दी एक जिंदगी बचाने तो आइये । एन डी आर एफ , एस डी आर एफ ,जिला पुलिस टीम , स्वास्थ्य विभाग खनिज विभाग और तमाम वे अधिकारी और कर्मचारी साथ ही वे निजी ठेकेदार जिनकी छोटी- बडी मशीनों ,वाहनो , उपकरणों ने एक जीवन , एक परिवार की मुस्कराहट बचाने और सबसे बड़ी बात प्रकृतिजनित और कभी-कभी मानवजनित संकट पर मानवता की जीत उसकी दृढ इच्छा शक्ति पर विश्वास बनाये रखने में मदद की जिन्होंने बडी ही संवेदनशीलता और गंभीरतापूर्वक अपने काम को सफल बनाया जिनका नाम हम उल्लेख नही कर रहे है । हम और हमारा मीडिया परिवार सभी का आभार प्रकट करते है और उन्हें साधुवाद देते है साथ ही हम सब.संकल्प करे कि हम अपने हिस्से की ईमानदारी अवश्य निभायेंगे जिससे किसी भी राहूल के रास्ते ऐसे विघ्न न आये और कोई और राहूल जिंदगी की ऐसी जद्दोजहद से ना गुजरे –

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