Amla Navami: कार्तिक मास में कब और क्यों मनाई जाती है आंवला नवमी, जानें पूजा विधि और व्रत कथा,,,शेषाचार्य जी महाराज
वृंदावन धाम कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को आंवला नवमी मनाते हैं। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जानते हैं। इस साल आंवला नवमी 12 नवंबर, शुक्रवार को है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन दान करने से पुण्य का फल इस जन्म के साथ अगले जन्म में भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।
आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करते हुए परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है। प्रसाद के रूप में भी आंवला खाया जाता है।
16 नवंबर से सूर्य के प्रभाव से इन राशि वालों के शुरू हो सकते हैं अच्छे दिन, क्या शामिल है आपकी राशि?
जानिए क्यों मनाते हैं आंवला नवमी-
मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ होता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा की ओर प्रस्थान किया था। इसी वजह से वृंदावन परिक्रमा की जाती है।
आंवला नवमी 2021 शुभ मुहूर्त-
12 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त है।
शनि राशि परिवर्तन कब होगा? धनु, कुंभ और कर्क समेत इन राशि वालों पर पड़ेगा ज्यादा प्रभाव
नवमी तिथि प्रारंभ-
12 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 13 नवंबर, शनिवार को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगी।
आंवला नवमी पूजन विधि-
1. आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है।2. हल्दी, कुमकुम आदि से पूजा करने के बाद जल और कच्चा दूध वृक्ष पर अर्पित करें।
3. इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें।
4. तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटें।
5. पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ी या सुनी जाती है।