SECL–राजस्व विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार: अधिकारियों की मिलीभगत से 9 करोड़ का नुकसान, जायसवाल भाइयों सहित कई पर CBI ने दर्ज किया मामला

राजेंद्र देवांगन
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रायपुर/कोरबा। SECL और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए के मुआवजे की हेराफेरी का बड़ा मामला सामने आया है। आर्थिक आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप में खुशाल जायसवाल और राजेश जायसवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इसी मामले में SECL के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों पर भी समान धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है।

हाल ही में CBI की टीम ने मलगांव और रलिया गांवों का दौरा कर जांच को आगे बढ़ाया है।


9 करोड़ से ज्यादा का नुकसान, अधिकारियों की मिलीभगत उजागर

ACB–CBI को मिली शिकायतों की जांच में पता चला कि कुछ लोगों ने SECL के उन अधिकारियों के साथ मिलकर, जो भूमि स्वामित्व तय करने वाली समितियों में शामिल थे, सरकार को 9 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान पहुंचाया।

मुआवजा वितरण में भारी अनियमितताएं और फर्जी दावों के जरिए यह खेल वर्षों से चल रहा था।


1.60 करोड़ से ज्यादा मुआवजा हड़पने का आरोप

जांच में खुलासा हुआ है कि खुशाल जायसवाल ने सरकारी या दूसरों की जमीन पर बने घरों का हवाला देकर 1 करोड़ 60 लाख रुपए से अधिक का मुआवजा ले लिया।

सूत्रों के अनुसार—

  • मलगांव और अमगांव में
  • फर्जी दावों और परिवार/करीबी के नाम पर
  • 7 से अधिक बार मुआवजा लिया गया।

कुल मिलाकर उन्होंने 1.83 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध राशि प्राप्त की।


नोटिफिकेशन के बाद बने घरों को भी मुआवजा!

जांच में यह भी पाया गया कि—

  • पात्रता की जांच किए बिना
  • नोटिफिकेशन जारी होने के बाद बनाए गए घरों को भी मुआवज़ा दे दिया गया।

यह बिल्कुल नियमों के खिलाफ था, क्योंकि मुआवजा उन्हीं संपत्तियों को दिया जा सकता था जो 2004, 2009 और 2010 के नोटिफिकेशन से पहले मौजूद थीं।

इन तारीखों के बाद बनी संपत्तियां मुआवजे के लिए पात्र नहीं मानी जाती थीं, फिर भी अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर मुआवजा स्वीकृत किया।


धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार की धाराओं में मामला दर्ज

CBI ने खुशाल जायसवाल, राजेश जायसवाल, SECL के कुछ अज्ञात अधिकारियों और अन्य व्यक्तियों पर निम्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की है—

  • IPC 120-B – आपराधिक साजिश
  • IPC 420 – धोखाधड़ी
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराएँ

एजेंसी इस मामले की आगे गहन जांच कर रही है।

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राजेंद्र देवांगन (प्रधान संपादक)