स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के विशेष निजी सहायक राजेंद्र कुमार दास का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
वीडियो में राजेंद्र दास को सड़क पर खुलेआम पत्नी का जन्मदिन मनाते, फटाखे जलाते और आतिशबाज़ी करते हुए देखा जा सकता है।
वीडियो सामने आते ही यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। इंडियन नेशनल कांग्रेस छत्तीसगढ़ के फेसबुक पेज पर उक्त मामले को पोस्ट कर सवाल उठाया गया है कि क्या सार्वजनिक सड़कों को इस तरह निजी उत्सव के लिए इस्तेमाल करना उचित है?
इंडियन नेशनल कांग्रेस छत्तीसगढ़ के फेसबुक पेज से हुआ वायरल
यह वीडियो सबसे पहले इंडियन नेशनल कांग्रेस छत्तीसगढ़ के आधिकारिक फेसबुक पेज पर साझा किया गया था।
पोस्ट में लिखा गया —
“स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जी के विशेष निज सहायक राजेंद्र दास, जो खुद भाजपा नेता भी हैं, सड़क पर खुलेआम पत्नी का जन्मदिन मना रहे हैं।
फटाखों और आतिशबाज़ी के बीच सड़क को निजी जागीर बना दिया गया!
क्या हाईकोर्ट का नियम सिर्फ आम जनता के लिए है? भाजपा नेताओं और उनके सहायकों पर कानून लागू नहीं होता क्या?”
यह पोस्ट अब भी कांग्रेस के फेसबुक पेज पर मौजूद है और लगातार वायरल हो रही है।

कानूनी पहलू — क्या हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना?
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पहले ही आदेश जारी कर कहा था कि
“सार्वजनिक सड़कें या पार्क किसी भी निजी आयोजन या जश्न के लिए प्रयोग नहीं किए जा सकते।”
इस आदेश के अनुसार, सार्वजनिक मार्ग पर फटाखे या निजी समारोह करना कानूनी उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
इसलिए सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस मामले में प्रशासन स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा?
राजनीतिक हलचल और भाजपा की चुप्पी
मामले को लेकर कांग्रेस ने सीधे स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल पर निशाना साधते हुए पूछा है कि
“क्या उनके विशेष सहायक पर कानून लागू नहीं होता?”
वहीं भाजपा की ओर से अब तक इस पूरे प्रकरण पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह मामला विपक्ष को सरकार पर “दोहरा रवैया” दिखाने का मौका दे सकता है।
स्थानीय नागरिकों और सोशल मीडिया यूज़र्स का कहना है कि –
“यदि कोई आम व्यक्ति सड़क पर पटाखे फोड़ता या जश्न मनाता तो तुरंत पुलिस कार्रवाई होती।
लेकिन जब बात राजनीतिक रसूख वाले लोगों की हो, तो प्रशासन चुप क्यों रहता है?”
लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि रायपुर पुलिस को इस मामले में ट्रैफिक बाधा और सार्वजनिक उपद्रव के तहत कार्रवाई करनी चाहिए।
अब निगाहें प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर हैं कि क्या इस प्रकरण पर कोई कार्रवाई होती है या मामला राजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में चला जाता है।